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प्रथम आने की दौड़ – ओशो

दूसरा दूसरा है, मैं, मैं हूं। कहां तुलना, कहां संबंध, कहां नाता, कौन-सी प्रतिस्पर्धा? दूसरा दूसरा होगा, मैं, मैं हो पाऊंगा। हर आदमी वही हो पायेगा, जो हो सकता है। दूसरे से लेना-देना कहां है?

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