Posted inकविता-शायरी

हास्य और व्यंग से भरपूर है ये कविता, जरूर पढ़ें

  इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं   इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैंजिधर देखता हूं, गधे ही गधे हैं गधे हँस रहे, आदमी रो रहा हैहिन्दोस्तां में ये क्या हो रहा है जवानी का आलम गधों के लिये हैये रसिया, ये बालम गधों के लिये है ये दिल्ली, ये पालम […]

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होली की हड़ताल

फागुन शुरू होता है तो मेरा दिल बल्लियों उछलने लगता है। इस बार दिल अतिरिक्त उत्साह से भरा था, सो मैंने मोहल्ले की भाभियों की बैठक बुलाई और होली खेलने का प्रस्ताव रखा। इसपर भाभियां भी उछल पड़ीं। आप जानते ही हैं कि भाभियां कितनी प्यारी होती हैं- मिसरी की डली-सी। मेरा प्रस्ताव सुन चम्पा […]

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