वैशाली अपने ऑफिस में जरूरी फाइलें निपटा रही थी, तभी इंटरकॉम की घंटी बजी। उधर से ऑफिस के हाउसकीपिंग सुपरवाइजर शहंशाह की कॉल थी, ‘मैडम, क्या आप दो मिनट के लिए फ्री हैं?’
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नाच न जाने चंपकलाल
वर्तमान हिंदी व्यंग्यकारों में हरीश नवल का नाम अग्रिम पंक्ति के रचनाकर्मियों में शामिल है। गहन कटाक्ष और गरिमा की सहभागिता उनके लेखन की विशेषता है। प्रस्तुत है, उन्हीं की एक चर्चित रचना-
