Controlling Partner
Tips to Handle Controlling Partner

Controlling Partner: जिंदगी में हम जिसे सबसे ज्यादा चाहते हैं, उसकी उतनी ही चिंता हर वक्त हमें रहती है। उसके उठने, पहनने, खाने और यहां तक की आने जाने तक के लिए समय का हम पूरा ख्याल रखते हैं। मगर किसी रिश्ते में सालों रहने के बाद धीरे धीरे कई बार वो चिंता नियंत्रण का रूप धारण कर लेती है। ऐसे में शुरू होते हैं रिश्तों में मनमुटाव। दरअसल चिंता और नियंत्रण में एक बहुत बारीक सी रेखा है। अगर आपका पार्टनर आपके बेहद करीब है और आपको उसका  केयरिंग स्वभाव पसंद है, तो आपका जीवन आसानी से चलता रहेगा। लेकिन जहां उनके स्वभाव से  आपको एहसास होने लगेगा कि वो कंट्रोलिंग हो रहे हैं, तो उस वक्त रिश्तों में कड़वाहट आना लाज़मी है। अगर आप भी किसी ऐसी ही समस्या से जूझ रहे हैं, तो इन टिप्स को ज़रूर आज़माएं और अपने जीवन को एक नइ राह प्रदान करें।

वाद विवाद को कहें न

वाद विवाद किसी भी रिश्ते को खराब कर सकते हैं। जब आपका पार्टनर आपसे बात बात पर बहस करने लगे, तो खुद को खामोश कर लेना यां वहां से चले जाना ही एक बेहतर विकल्प होता है। इससे धीरे धीरे, वो बोलना कम कर देंगे और फिर कोई भी बात बहस का मुद्दा नहीं बनेगी।

नेगेटिव बातों से रहें दूर 

जीवन में अगर आप बदलाव चाहते हैं, तो उसकी शुरूआत आपको खुद से ही करनी होगी। यकीनन आपको खुद को हर वक्त पॉजिटिव रखकर चलना होगा। दरअसल, तो व्यक्ति नियंत्रण चाहता है, वो खुद को हर वक्त सही और आपको गलत के तराजू में तोलता है। ऐसे में कई मुश्किलात भी पेश आती हैं। मगर थोड़ा सा विवेक और बु़द्ध से काम लेने पर हम इस समस्या से बाहर आ सकते हैं। कोशिश करें कि हर वक्त  सकारात्मकता बनाए रखें, ताकि उनका रैवया खुद ब खुद ठीक हो जाए।

खुद को करें साबित

कर्द बार हम किसी को अपनी जिंदगी में इतना स्पेस दे देते हैं, कि उन्हें लगता है कि वो हमें जैसे चाहे नियंत्रित कर सकते हैं। मगर ये हमारी सबसे बड़ी गलती होती है। अपने फैसलें खुद लेना सीखें, दूसरों पर डिपेंड होना छोड़ दें। उन्हें अपनी योजनाओं अपने कार्यों की जानकारी न दें। इससे वो भली भातिं जान पाएंगे कि आप अपने फैसलें लेने के काबिल हैं। फिर ये समस्या धीरे धीरे कम होने लगेगी।

सीमित बातचीत रखें

हम कई बार परिवार के कुछ लोगों से यां फिर अपने पार्टनर से इतना खुल कर बात कर लेते हैं कि वो हम पर अपना अधिकार जताने हैं। हांलाकि ये गलत नहीं है कि लेकिन धीरे धीरे वो अपने फैसले भी आपकी थोंपने लगते हैं। जो रिश्तों में कड़वाहट पैदा करने के लिए काफी है। अगर आपका साथी भी नियंत्रित स्वभाव का है, जो ध्यान रखें की उनसे बातचीत की एक सीमा बांध लें। साथ ही खाने की मेज हों यां फैमिली फंक्शन केवल ज़रूरी जगहों पर ही एक साथ वक्त बिताएं। अन्यथा आपका जीवन औश्र आपका व्यक्तित्व कहीं खो जाएगा। जो धीरे धीरे आपके लिए तनाव, पीड़ा और दूसरों से प्रतिस्पर्धा का कारण भी साबित हो सकता है।

अगर जरूरत पड़े, तो ऐसे रिश्ते से दूर चले जाएँ

कुछ रिश्ते हमें मानसिक तौर पर इस कदर परेशान कर देते हैं, कि जीवन बोझिल लगने लगता है। खुद से नफरत होने लगती है और रश्ति नातों से मोह भंग सा हो जाता है। मगर ऐसे हालात तक किसी रिश्ते को पहुंचने से बेहतर है कि आप उस रिश्ते से अलग हो जाए, ताकि ख्आप अपना जीवन अपनी शर्तों और ज़रूरतों के मुताबिक जी जाएं और समाज में एक मकाम हासिल कर सकें। समाज के बारे में सोचना बंद करके केवल अपने जीवन के उद्देश्य पर ध्यान दें।

रिश्तेदार अगर हो कंट्रोलिग नेचर के

पति के अलावा अगर आपके फैमिली मेम्बर भी आपको कंट्रोल करने वाले है यानि आपके हर काम में अपनी राय रखना और उसे मानने के लिए आपको बार बार बाधित करते हैं। तो ऐसी सूरत में आपका जीवन पीड़ा से ग्रस्त रहता है। अगर आपके नाते रिश्तेदार आपके किए गए कार्यों की आलोचना करने वाले हों, तो फैमिली इवेंट्स में उनके साथ अपने इंटरेक्शन को सीमित करने की कोशिश करें। उनके साथ फोन कॉल्स यां आउटिंग जैसी चीजों को बहुत कम रखने का भी प्रयास करें। इतना ही नहीं, उनके समक्ष अपने कार्यों का स्पष्टीकरण दें और उन्हें ये एहसास दिलाएं कि आप जो कर रही हैं, वो किसी भी मायने में गलत नहीं है। अक्सर विवाह के बाद बहुओं को नौकरी करने की स्वतंत्रता नहीं जाती है। अगर वो मनमुताबिक कुछ करना भी चाहती हैं, तो दूर की चाची यां पति की मौसी यां फिर नानी दादी बहू को घर में ही चूल्हा चौंका संभालने के लिए कई तरह से मनाने की कोशिश करती हैं और अगर बात फिर भी नहीं बनती, तो अपनी बात को मनवाने के लिए कई बार बहू के साथ डांट डपट भी करने से नहीं कतराती हैं। ऐसे रिश्ते समाज और परिवार की मर्यादाओं को अंदर से खोखला बना देते हैं।

मास्टर मैनिपुलेटर्स बनना

अगर आपका साथी आपको हर वक्त नियंत्रित करने की कोशिश करता है। यानि आपके खाने से लेकर पहनने तक हर काम में उनकी दखलअंदाजी होती है, तो यें मास्टर मैनिपुलेटर्स की निशानी है। जी हां आपका साथी अगर ऐसे स्वभाव का स्वामी है तो उन्हें बात बात पर अहसास कराएं कि वो हर बार सही नहीं हो सकते हैं और आप अपना जीवन मनमुताबिक जीना चाहती हैं। किसी भी रिश्ते की शुरूआत में ये सभी बातें अच्छी लगती हैं, मगर धीरे धीरे यही चीजें आगे चलकर जी हां जंजाल साबित होने लगती है। आप उनसे राय लेना कम करें और हो सके तो थोड़ी दूरी भी बनाकर चलें। ताकि आप अपने फैसले लेने में सक्षम बन सकें।