माता-पिता बनने के बाद हमारा सारा ध्यान अपने बच्चे पर ही होता है। हम चाहते हैं कि बच्चे हमेशा सुरक्षित रहें, इसलिए उन्हें हर तरह की दिक्कत से बचाने की कोशिश की जाती है। लेकिन इस दुनिया की कई सच्चाई ऐसी हैं, जिन्हें बच्चे को अकेले ही हैंडल करना पड़ता है। उन्हें कभी खराब लोग मिलेंगे तो कभी ऐसे भी, जो उनकी परेशानी जरा भी नहीं समझेंगे। वैसे तो वो ये सब खुद जिंदगी आगे बढ़ने के साथ समझ सकते हैं लेकिन अगर इसके लिए तैयार करना भी परवरिश में शामिल कर लिए जाए तो उनके लिए जिंदगी गुजारना थोड़ा और आसान हो जाएगा। इसलिए जरूरी है कि बच्चे को जिंदगी की कड़वी सच्चाइयों से रूबरू करा दिया जाए। कैसे कराएंगी, आइए जानें-
दुनिया में खराब लोग भी होते-
बच्चे को ये समझ आना चाहिए कि दुनिया में खराब लोग भी मिलेंगे। जो उनको समझेंगे नहीं बल्कि उन्हें और परेशान करने की कोशिश करेंगे। लेकिन बच्चों को तो सिर्फ अच्छे लोगों के बारे में ही पता होता है। उनके पेरेंट्स हों या बाकी परिवार सभी उनके भले के लिए ही सोचते हैं। ऐसे में बच्चे को ये सब समझाना थोड़ा कठिन हो सकता है लेकिन नामुमकिन नहीं। साथ में बच्चे को ये भी समझाना होगा कि सब लोग बुरे भी नहीं होते, जो अच्छे होते हैं उनके साथ अच्छे ही बने रहना होगा। अच्छे-बुरे में फर्क भी करना होगा। 
सबकी पसंद नहीं-
बच्चों को ये भी पता होना चाहिए कि जैसे घर पर सब तुम्हें पसंद करते हैं, वैसे सब तुम्हें पसंद नहीं करेंगे। किसी को तुम बुरे भी लगोगे। क्योंकि हम सब साथ रहते हैं इसलिए कई चीजों में हम सबकी इच्छाएं एक सी हैं और इस वह से भी हम एक दूसरे को प्यार करते हैं। पर सबके साथ ऐसा नहीं होता है। सबको तुममें कमियां भी लगेंगी और तुम्हें ये सब स्वीकार भी करना होगा। फिर उनकी सोच बदलने की कोशिश करनी है या नहीं इसका निर्णय भी तुम्हारा ही होगा।  
अन्याय भी है दुनिया में-
पेरेंट होने के नाते आपको बच्चों को ये भी बताना होगा कि तुम सही और सब सही हमेशा संभव नहीं है। कई बार जिंदगी में अन्याय का सामना भी करना होता है। इस वक्त हार कर बैठ जाने से अच्छा होगा कि अन्याय के खिलाफ खड़ा हुआ जाए ना कि इस बात का रोना लेकर निराशा में डूबते जाएं। 
हर कोई सफल नहीं होता-
मेहनत से सबकुछ पाया जा सकता है। हमें अक्सर यही बताया जाता है लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता है। हर किसी के पास हर टैलेंट नहीं होता है। हर कोई टॉप नहीं करता, हर कोई बेस्ट प्लेयर नहीं होता और आर्टिस्ट भी। इसलिए हर काम में सफल होने की आशा लगाना भी गलत है। बच्चों को हमेशा सफलता का स्वाद चखने को नहीं मिलेगा और ये बात उन्हें पता होनी चाहिए।