पर्व-त्योहारों का मौसम शुरू हो चुका है और हम सभी चाहते हैं कि हमारे बच्चे त्योहारों के दौरान व्यस्त रहें और इनका लुत्फ भी उठाएं। आज त्योहार केवल छुट्टियों तक सीमित रह गए हैं। जबकि त्योहार का मतलब साथ मिलकर सेलिब्रेट करना है। लेकिन आज के एकल परिवार में यह साथ कहीं पीछे छूट गया है और हम अकेले रह गए हैं। इसलिए जैसे ही त्योहारों का मौसम आता है, माता-पिता मस्ती की बजाय चिंता में डूब जाते हैं। इस चिंता से दूर होकर त्योहारों के उल्लास को सही तरीके से महसूस करने के लिए हमें अपने बच्चों को इस खुशी के मौसम से सराबोर करते हुए इसके सही मायने समझाने होंगे।

त्योहार के बारे में बताएं
अपने बच्चों को त्योहार के औचित्य के बारे में समझाएं, उन्हें बताएं कि हम दशहरा, दीवाली आदि त्योहारों क्यों मनाते हैं। इस बारे में एक सप्ताह पहले से बताना शुरू करें, ताकि वह तैयार हो जाए और आप इस उल्लास को महसूस कर सकें। इन त्योहारों को समझाने के लिए उन्हें इससे जुड़ी कहानियां सुनाएं। आज के बच्चों को गैजेट्स से विशेष प्यार है तो उन्हें इन त्योहारों से संबंधित वीडियो दिखाएं और त्योहार से जुड़े पात्र के तौर पर उन्हें कहानी सुनाएं।

आर्ट और क्राफ्ट
किसी भी चीज का लुत्फ उठाना है तो उसे बच्चों से जोड़ें। इसका सबसे बेहतरीन तरीका आर्ट और क्राफ्ट है। इससे बच्चों को सेलिब्रेशन हमेशा याद रहेगा और वे इसे अच्छी तरह से महसूस भी कर पाएंगे। दीवाली पर कार्ड भेजने की परंपरा खत्म हो रही है, आप इसे पुनर्जीवित कर सकते हैं। अपने लाडले को कार्ड बनाने के लिए पेपर और रंग लाकर दें। उन्हें दशहरे-दीवाली से संबंधित प्रतीकों को बनाने और रंग भरने को कहें। इसके बाद इन काड्र्स को उन्हें दोस्तों को देने के लिए कहें। चाहें तो लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति उन्हें दें और बोलें कि वे भगवान की इन मूर्तियों को अपने मनपसंद रंगों से सजाएं। त्योहारों से संबंधित बुकमार्क भी बनाने के लिए कह सकते हैं।

सजाना-संवारना
बाजार में कई तरह की खूबसूरत रोशनी की लडिय़ां मिलती हैं। उन्हें खरीद लाएं और बच्चों को इन्हें अलग-अलग स्टाइल में लगाने को कहें। उन्हें कहें कि वे इन लडिय़ों से रोजाना अलग-अलग डिजाइन बनाएं और बालकनी में लगाएं। मिट्टी के बर्तन और लालटेन भी खरीद कर लाएं और उन्हें रंगने व सजाने के लिए कहें। सजाने के लिए बाजार में कई आकार के शीशे, बीड्स, मोती मिलते हैं। रोजाना घर के सामने और पूजा कक्ष में रंगोली बनाने के लिए कह सकती हैं, इसके लिए होली के रंग या फूलों का प्रयोग किया जा सकता है। पूजा थाली को सजाने का काम भी बच्चों को दिया जा सकता है। रंग, फूल, विभिन्न तरह के दाल आदि उन्हें देकर उनके अंदर छिपी क्रिएटिविटी को उभार सकती हैं।

घर की सफाई
पर्व-त्योहार ही मौका है अपने घर की साफ-सफाई करने का। आप अकेले ही क्यों इस काम में लगें। इसके लिए अपने बच्चे की मदद लें। यदि आप झाड़-पोंछ का काम कर रही हैं तो एक कपड़ा अपने लाडले या लाडली को भी पकड़ाएं और उसे सोफा, टीवी यूनिट, खिलौने आदि साफ करने का काम सौंपें। वैसे भी वह आपको सफाई करता देखकर आपकी मदद के लिए आएंगे ही तो क्यों न आप ही इसकी शुरुआत कर लें।

मिठाइयों में मदद
भगवान को चढ़ाने के लिए प्रसाद बनाने में उनकी मदद ले सकती हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि आप उन्हें किचन में बैठा दें। प्रसाद को डेकोरेट करने में उनकी मदद लें, फिर चाहे ड्राई फ्रूट्स से सजाना हो या विशेष तरीके से थाली में रखना हो। मेहमानों को प्रसाद देने के काम में उन्हें लगाइए। मेहमानों को प्रसाद देने के लिए छोटे पेपर बैग लाइए और उसमें प्रसाद रखने का काम बच्चों को दीजिए। यदि बाजार से त्योहार से संबंधित मिठाइयां या ड्राईफ्रूट्स खरीदने हैं तो उन्हें साथ ले जाइए और खरीदारी में उनकी मदद लीजिए।

ड्रेस अप
त्योहारों का मतलब ही मौज मस्ती और नई ड्रेसेज है। बच्चों को खासकर इसमें बहुत मजा आता है। इसलिए किसी भी त्योहार पर अपने लाडले या लाडली को तैयार करना न भूलें। मौके के अनुरूप उन्हें ड्रेस पहनाएं ताकि उन्हें समझ में आए कि यह दिन खास है। बच्चे दूसरों की नकल करने में एक्सपर्ट होते हैं तो खुद भी तैयार होना न भूलें।

सामाजिक मेल-मिलाप
पर्व-त्योहार पर एक-दूसरे के घर जाकर बधाई देने की परंपरा को जीवित रखें और यह धरोहर अपने बच्चों को भी दें। पड़ोसी, रिश्तेदार, दोस्तों के यहां समय निकालकर जरूर जाएं। वैसे भी बच्चों को घर से बाहर जाने में ही खुशी होती है तो क्यों न त्योहार के शुभ मौसम में उन्हें इसी बहाने घुमा भी लाएं। मंदिर जाना तो बिल्कुल न भूलें। हम इन दिनों इतने व्यस्त हो गए हैं कि हमारे पास मंदिर जाने तक का समय नहीं होता। मंदिर जाने से बच्चों के अंदर ईश्वर को लेकर आस्था का भाव पनपेगा।