किचन गार्डनिंग के लिए मिट्टी ऐसे तैयार करें: Kitchen Gardening
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Kitchen Gardening: किचन गार्डनिंग का ट्रेंड इन दिनों खूब चल रहा है। भारत में किचन गार्डन का कल्चर कुछ समय से है, जबकि विदेश में लोगों के पास गार्डनिंग करने के लिए यार्ड रहते है। यहां जगह की कमी के चलते लोग अपनी छोटी-सी छत या बालकनी में भी अपने इस शौक को पूरा करने की चाह रखते है। ऐसे में घऱ पर लगे पेड़-पौधे अच्छे से फले-फूले इसके लिए मिट्टी का उपजाऊ होना बहुत जरूरी होता है। अगर आप जानना चाहते है कि किचन गार्डनिंग के लिए मिट्टी कैसे तैयार करें, तो यह आर्टिकल आपके लिए खूब काम का साबित हो सकता है।

Kitchen Gardening Tips: पौधों के लिए उपजाऊ मिट्टी

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वैसे तो हर पेड़-पौधों की जरुरत अलग-अलग होती है, चाहे वो सूर्य की रोशनी, खाद, पानी को लेकर हो या फिर जगह को लेकर सभी को अलग-अलग तरह की देखभाल की जरुरत होती है। सब्जियों के लिए ऐसी मिट्टी का इस्तेमाल करना चाहिए, जिसमे आसानी से पानी निकल जाए। इससे जड़ों तक पौधों को ऑक्सीजन मिलती रहे। बहुत ज्यादा चिकनी या बलुई मिट्टी का इस्तेमाल ना करें।

अपने किचन गार्डन के लिए अच्छी और उपजाऊ मिट्टी का चयन करें। गार्डनिंग के लिए सबसे अच्छी नम मिट्टी होती है, जिसमे सभी पोषक तत्व मौजूद रहते है। गार्डन के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे बढ़िया होती है। इसमे चिकनी मिट्टी, रेत और गाद की बराबर मात्रा पाई जाती है ।

आप मिट्टी में रेत, गोबर, कोकोपीट, बोनमील का इस्तेमाल कर इसे उपजाऊ बना सकते है। ऐसी मिट्टी में पौधे उगाने से पौधों का सही विकास होता है, जिससे पौधों में अच्छे फल-फूल आते हैं।

मिट्टी में पीएच की जांच करें

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check the pH of the soil

सही पीएच वाली मिट्टी का चुनाव भी बहुत जरुरी है। पौधों में पोषक तत्वों की उपलब्धता मिट्टी के पीएच से प्रभावित होती है। सब्जियों और फलों के उत्पादन के लिए 6.5 से 7.5 पीएच वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है। पीएच की यह सीमा जड़ों के विकास के लिए अच्छी होती है। आप ऑनलाइन पीएच मीटर भी खरीद सकते है।

ऐसे तैयार करें मिट्टी

ज्यादा चिकनी मिट्टी होने पर पौधों की जड़ें विकसित नहीं हो पाती और मिट्टी में पानी का जमाव होता है। इसके लिए मिट्टी में जिप्सम यानि कैल्शियम सल्फेट डिहाइड्रेट का प्रयोग करें। अगर मिट्टी बलुई है, तो इसमें कम्पोस्ट खाद डालकर उपजाऊ बना सकते हैं।

बलुई मिट्टी से पौधों की जड़े सही पकड़ नहीं बना पाती और पौधों का विकास रुक जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए बलुई मिट्टी में गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कंपोस्ट मिलाएं। गार्डन की मिट्टी में नाइट्रोजन युक्त उर्वरक मिलाएं। मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने के लिए अलसी खली पाउडर, वर्मी कम्पोस्ट या नीम केक पाउडर मिला सकते हैं। मिट्टी में हल्की रेत भी मिला लें।

अगर आप इन बातों का ध्यान रख गार्डन के लिए मिट्टी तैयार करते हैं, तो आपके पौधे हमेशा हरे-भरे और फलदार रहेंगे।