​​महिलाएं अपने हेल्थ को लेकर अक्सर लापरवाही करती हैं और बात यदि वजाइनल हेल्थ की हो, तो वज़ाइनल प्रॉब्लम्स के बारे में महिलाएं खुलकर चर्चा नहीं करतीं। ऐसे में कई बार छोटी प्रॉब्लम​​ भी बड़ी हो जाती है और फिर उसका इलाज भी जटिल हो जाता है, इसलिए वजाइनल हेल्थ से जुड़ी ये जानकारियां हर महिला को मालूम होनी चाहिए।

यदि वजाइनल (यौनांग) एरिया से बदबू आए

वजाइनल एरिया से बदबू, वजाइनल इन्फेक्शन के कारण आती है। यह इन्फेक्शन फंगल, बैक्टीरिया या ट्राइमोनियल, कई तरह का हो सकता है। इसमें वजाइनल डिस्चार्ज होता है। यदि यह सफ़ेद क्रीम कलर का है, तो बैक्टीरिया संबंधी इंफेक्शन हो सकता है। ट्राइकोमोनियल इंफेक्शन में सफ़ेद डिस्चार्ज हरापन लिए हुए होता है। ये सब सेक्सुअली ट्रांसमीटेड संक्रमण हैं, जो एंटीफंगल या एंटीबैक्टीरिल दवाइयों से ठीक हो जाते हैं। इस प्रॉब्लम से बचने के लिए वजाइनल एरिया की नियमित सफ़ाई के अलावा वज़ाइनल एरिया को नियमित रूप से पानी से कई बार धोएं।

यदि सेनेटरी नैपकिन्स से रैशेज़ हो जाए

आजकल लगभग सभी महिलाएं सेनेटरी नैपकिन्स का उपयोग करती हैं। स्कूल-कॉलेज की लड़कियां तथा वॄकग महिलाएं अल्ट्राथिन सेनेटरी पैड्स ज़्यादा पसंद करती हैं, क्योंकि इन्हें बार-बार बदलना नहीं पड़ता। अल्ट्राथिन पैड पतले होने के कारण पहनने में भी सुविधाजनक होते हैं। अल्ट्राथिन पैड्स में ऐसा पदार्थ डाला जाता है, जो माहवारी के रक्त को जेल में बदल देता है। इससे बहाव बाहर नहीं आता और सूखापन महसूस होता है। इस सूखेपन के एहसास के कारण ही पैड्स कई घंटों तक बदले नहीं जाते। ऐसे पैड्स जब त्वचा के संपर्क में आते हैं तो खुजली या रैशेज पैदा करते हैं। सेनेटरी नैपकिन्स से होने वाले रैशेज से बचने के लिए जहां तक संभव हो, कॉटन सेनेटरी पैड्स का उपयोग करें और इन्हें हर चार घंटे के बाद बदलें।

यदि वजाइनल एरिया में छोटे सफ़ेद पिंपल्स हो जाएं

सफ़ेद पिंपल्स स्किन इंफेक्शन के कारण आते हैं। शेविंग करने के बाद भी ऐसे पिंपल्स आ सकते हैं। दोनों ही स्थितियों में डॉ. की सलाह पर एंटीबॉयोटिक्स लेने से ये ठीक हो जाते हैं। कई बार यह सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज़, हरपिस आदि का लक्षण भी हो सकता है। यदि वजाइनल एरिया में छोटे सफ़ेद पिंपल्स हो जाएं, तो लापरवाही न करें और डॉक्टर के पास जरूर जाएं।

यदि सैटिन या सिंथेटिक पैंटीज पहनने से खुजली होने लगे

हमारे देश के वातावरण में नमी होती है, इसलिए यहां पर कॉटन पैंटीज पहनने की सलाह दी जाती है। खुजली का कारण सैटिन या सिंथेटिक पैंटीज़ के अलावा सेनेटरी पैड्स की एलर्जी भी हो सकता है। पसीना और सिंथेटिक मैटीरियल मिलकर खुजली पैदा करते हैं। इससे बचने के लिए प्राइवेट पार्ट्स को पानी से बार-बार धोएं और मेडीकेटेड पाउडर लगाएं। कई बार यह खुजली वजाइनल इंफेक्शन के कारण भी होती है और दवाइयों से ठीक हो जाती है। खुजली से बचने के लिए कॉटन पैंटीज़ ही पहनें। बिकनी वैक्सिंग के बाद भूलकर भी सिंथेटिक पैंटी न पहनें, इसके बदले कॉटन पैंटी पहनें। जिन महिलाओं को बिकनी वैक्सिंग के बाद पिंपल्स हो जाते हैं, डॉक्टर उन्हें एंटीबॉयोटिक लेने तथा बिकनी वैक्सिंग के एक घंटे पहले पेनकिलर लेने की सलाह देते हैं।

यदि यूरिन (पेशाब) लीक होने लगे

कई महिलाओं को हंसने, खांसने या एक्सरसाइज़ करते समय यूरिन लीक हो जाती है। डिलीवरी के बाद यूरीनरी ब्लैडर को सपोर्ट करने वाली पैल्विक फ्लोर मसल्स ढीली पड़ जाने से ऐसा होता है। आमतौर पर डिलीवरी के 6 महीनों बाद यह समस्या ठीक हो जाती है। यदि यह समस्या ठीक न हो तो ‘कीगल एक्सरसाइज़’ करने से मसल्स टोन हो जाती हैं।

यदि पीरियड्स होने के एक हफ्ते पहले से व्हाइट डिस्चाज़र् होने लगे

पीरियड्स के पहले व्हाइट फ्लूइड निकलना आम बात है। ऐसा प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन के कारण होता है। यदि डिस्चार्ज से बदबू नहीं आ रही है या खुजली नहीं हो रही है, तो डरने की कोई बात नहीं है। इससे कोई नुकसान नहीं होता। कई महिलाओं को लगता है कि डिस्चार्ज के कारण उन्हें कमजोरी महसूस हो रही है, लेकिन यह एक मिथक है, पीरियड आने के पहले स्ट्रेस होने से ऐसा महसूस होता है।

यदि बिकनी वैक्सिंग के बाद पिंपल्स हो जाएं

बिकनी वैक्सिंग में प्राइवेट पार्ट्स के बालों की वैक्सिंग की जाती है। आमतौर पर मॉडल्स और एक्ट्रेसेस ऐसा करती हैं। आजकल आम महिलाएं भी बिकनी वैक्सिंग कराने लगी हैं। बिकनी वैक्सिंग के बाद भूलकर भी सिंथेटिक पैंटी न पहनें, इसके बदले कॉटन पैंटी पहनें। जिन महिलाओं को बिकनी वैक्सिंग के बाद पिंपल्स हो जाते हैं, डॉक्टर उन्हें एंटीबॉयोटिक लेने तथा बिकनी वैक्सिंग के एक घंटे पहले पेनकिलर लेने की सलाह देते हैं। यदि आपको भी बिकनी वैक्सिंग के बाद पिंपल्स हो जाते हैं, तो अपने डॉक्टर से उचित सलाह लें। बिकनी वैक्सिंग के दर्द से बचने के लिए आप शेविंग, ट्रिमिंग, लेज़र ट्रीटमेंट आदि ट्राई कर सकती हैं।