अल्लामा ने उसकी जांच कर 100 पुड़िया दवा दी और कहा कि दिन में तीन पुड़िया उपयोग में लानी है जब माथे पर पसीना आए, दवा मल लो साथ ही तुम्हें वापस भी पैदल ही जाना है, इसलिए सरदार को पैदल ही लौटना पड़ा। माथे पर पसीना लाने का एक ही उपाय था कि तेज चाल से चला जाए सरदार ने वही किया और तीन सप्ताह में वापस बगदाद पहुंचा रास्ते भर पसीना निकलने पर पुड़िया भी मलता रहा।
वापस बगदाद पहुंचने से पहले ही सिरदर्द दूर हो गया था पर दवा बच गई थी। फिर मुमाश्तों को भेजा कि पूछ आओ बची दवा का क्या किया जाए अल्लामा ने कहा, वह दवा तो मामूली मिट्टी थी उसे भले ही फेंक दो, असली इलाज तो पैदल आना और पैदल वापस लौटना था फिर कुछ रुक कर कहा, पैदल चलने की आदत छोड़ देने से ही लोग बीमार पड़ते व मरीज बनते हैं यदि अपने मन व शरीर को निरोग रखना है तो मेरी तरह चलने की आदत डालनी चाहिए मैं पैदल चल कर ईमान का प्रचार करता हूं और स्वथ्य रहता हूं।
डालिए पैदल चलने की आदत
विनोद को अचानक दोहरा दिखाई देने लगा था नेत्रचिकित्सक ने रक्तशर्करा की जांच करवाने को कहा विनोद को मधुमेह की बीमारी निकली डॉक्टर ने सलाह दी, बात अभी बिगड़ी नहीं है। आप भोजन पर नियंत्रण रखें और प्रात: चार किलोमीटर घूमना आरंभ कर दें दो माह में नेत्र सामान्य ढंग से देखने लगे नियमित रूप से चार किलोमीटर घूमने से अतिरिक्त कैलोरी भस्म होने लगी वजन कम हुआ और वह सामान्य हो गए विनोद ने फिर घूमना बंद नहीं किया।
टहलना एक बेहतरीन औषधि
एक व्यक्ति श्यामबिहारी को हृदय का दौरा पड़ा समय से वह अस्पताल पहुंच गए 15 दिन बाद स्वस्थ हो कर वापस आए आते समय डाक्टर ने सलाह दी, प्रात: घूमना आरंभ कर दो धीरे-धीरे दो तीन माह में तीन किलोमीटर चलने लगना सैर की नियमित आदत डाल लेना श्यामबिहारी ने डॉक्टर की सलाह का अक्षरश: पालन किया आज चार साल बाद वह भूल ही गए है कि उन्हें कभी दिल का दौरा पड़ा था घूमने से शरीर का संपूर्ण व्यायाम होने से अतिरिक्त चरबी निकल गई और शरीर सामान्य व सुडौल हो गया अब वह सामान्य जीवन जी रहे हैं।
लम्बी जिंदगी के लिए टहलना जरूरी
एक सज्जन ने अवकाश प्राप्ति के बाद प्रात: चार मील घूमना आरंभ किया था। यह तब की बात है जब भारत में औसत आयु 50 वर्ष के आसपास होती थी 50 वर्ष पार करते ही लोग शंकित रहते थे कि जाने कब बुलावा आ जाए पर इस नियमित सैर के चलते वह 94 वर्ष जिए व स्वस्थ रहे मृत्यु के तीन दिन पहले तक प्रात: टहलने का उन का क्रम चलता रहा।
जब बीमारी में पैदल चलने से बीमारी दूर होती है तो स्पष्टï है कि स्वस्थ हालत में पैदल चलने से बीमारी पास नहीं आएगी वैसे तो बीमारी को कोई रोक नहीं सकता पर स्वास्थ्य के नियमों का पालन कर के उसके प्रभाव व फिर लौट आने की आशंका को कम अवश्य किया जा सकता है।

नहीं करें व्यायाम के साथ टहलने की तुलना
एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि कोई व्यक्ति सामान्य शारीरिक श्रम अथवा विशिष्टï प्रकार का व्यायाम भले ही करता हो, पर उसे प्रतिदिन दो घंटे तो टहलना ही चाहिए इससे कम में शारीरिक भूख नहीं मिटती दूसरे व्यायाम के साथ टहलने की तुलना नहीं करनी चाहिए उस की अपनी उपयोगिता है और अपनी विशेषता है जो नित्य टहलने की आदत नहीं डालेगा, वह स्वस्थ्य नहीं रह सकता।
समस्त शरीर की कार्यक्षमता सुधारने के लिए चलना सर्वाधिक प्रभावशाली व्यायाम है। इससे शरीर की तमाम मांसपेशियां अधिक गतिशील रहती हैं यह एक संपूर्ण व्यायाम है।
संपूर्ण व्यायाम है टहलना
विशेषज्ञों का मत है कि संगीत के आरोह-अवरोह की तरह आप का स्वास्थ्य भी लगभग 30-35 वर्ष में आरोह की चरम सीमा तक पहुंच कर फिर अवरोह की गति और लय में आ जाता है रक्त नलियां सख्त होने लगती हैं इन में से होकर रक्त को गंतव्य तक भेजने में हृदय को अधिक श्रम करना पड़ता है, जो अधिक रक्तचाप में परिलक्षि होता है सामान्य सिस्टोलिक रक्तचाप 120 से बढ़कर 30 की उम्र में 150 हो जाता है इसे हंड्रेड प्लस योर एज या सौ में अपनी उम्र जोड़ लें भी कहा जाता है।
टहलिए और रखिए शरीर को चुस्त
अवरोह की इस स्थिति में वजन का बढ़ जाना भी आम बात है, क्योंकि भरपूर पौष्टिïक भोजन और कम होते श्रम का यही परिणाम होता है। अधिक या अतिरिक्त कोशिकाओं के लिए अधिक ऑक्सीजन जुटाने में फेफड़ों को अधिक कार्य करना पड़ता है फलत: दम घुटना जैसे सांस के रोग परेशान करने लगते हैं।
मस्तिष्क की कोशिकाओं को ऑक्सीजन की सतत आवश्यकता है, क्योंकि जहां अन्य कोशिकाएं मरती और जन्म लेती रहती हैं, मस्तिष्क की कोशिकाएं फिर नहीं पैदा होती यह क्षति अपूरणीय कही जाती है। आमतौर पर यह दुर्घटना 5 मिनट ऑक्सीजन न मिलने से हो जाती है।
सक्रिय जीवन जीने से यह अवरोह यानी उतार धीरे-धीरे आता है। व्यक्ति जितना निष्क्रिय रहता है, उतनी ही जल्द बुढ़ापे के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कुछ नहीं करने वाले अवकाश प्राप्त व्यक्ति जो केवल टेलीविजन या रेडियो देख कर, सुन कर समय काटते हैं जल्द ही मानसिक चेतनता खोने लगते हैं।
इस उतार की क्रिया को धीमा करने के लिए नियमित व्यायाम आवश्यक है संपूर्ण शरीर को चुस्त रखने वाला टहलना ही एक सही व्यायाम है।
टहलने के साथ मन में भाव रहना है कि हम स्वास्थ्य लाभ के लिए टहल रहे हैं। प्रयास व भावना का सम्मिश्रण शरीर को स्वस्थ रखने के रूप में सामने आता है। वैसे तो लुहार दिन भर हथौड़ा चलाता है। डाकिया कई घंटे चलता है गृहणियां घर में घूमती हैं। पर इन सब में स्वास्थ्य लाभ का भाव नहीं होता है। जीवनयापन के लिए करना है इसलिए किया जाता है। कुछ बेगार का भाव आ जाता है इससे लाभ नहीं होता। इसी प्रकार के मनोवैज्ञानिक कारणों से शारीरिक व्याधियां भी होती है, जिन्हें ‘साइकोसोमेटिक बिमारियां’ कहा जाता है।
मोटापा है कई बिमारियों का कारण
अधिक वजन व मोटापा अनेक व्याधियों के मूल में रहता है। विशेषकर राजरोग, मधुमेह, रक्तचाप और हृदयरोग के मामलों में खाली मोटापा इतना परेशान नहीं करता, पर जब साथ में मधुमेह हो, अधिक रक्तचाप हो और धूम्रपान की आदत हो, फिर तो वजन कम करने के सिवा और कोई उपाय नहीं है। भोजन संतुलित कर के व्यायाम करना ही वजन घटाने का एक मात्र उपाय है ताकि जितनी कैलोरी ली जाए उससे कुछ अधिक भस्म हो। पैदल चलने से अधिक मात्रा में ऑक्सीजन अंदर जाने से धूम्रपान करने वालों के रक्त में कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस व निकोटीन का प्रतिशत कम होता है व रक्त वाहिनियों का लचीलापन बढ़ता है। अत: अधिक दबाव में रक्त वाहिनियों के फटने की आशंका कम होती है। इस से दिल का दौरा पड़ने का खतरा भी कम हो जाता है।
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