टाइफाइड में दूध पीना हो सकता है खतरनाक: Typhoid Disease Tips
Typhoid Disease Tips

Typhoid Disease Tips: जानकारी के अभाव के कारण लोग टाइफाइड से ग्रसित बीमार व्यक्ति को दूध पीने के लिए देते हैं ताकि उसके अंदर ताकत आए जबकि टाइफाइड में दूध पीना खतरनाक हो सकता है। टाइफाइड मुख्य रूप से आंतों से संबंधित एक बीमारी है जिसका इलाज दवाइयों और इंजेक्शन के द्वारा किया जाता है। हालांकि, इसमें डाइट का भी उतना ही महत्व होता है जितना कि दवाइयों का। टाइफाइड में आंतों को आराम पहुंचाने के लिए सही खानपान का चयन करना बहुत जरूरी होता है। अगर इसमें कुछ गलत चीजों का सेवन कर लिया जाए तो टाइफाइड ठीक होने के बजाए कई तरह की अन्य समस्याएं आ जाती हैं। खासकर कि दूध का सेवन इस बीमारी में खतरनाक हो सकता है।

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टाइफाइड एक खतरनाक बीमारी है जो आंतों से संबंधित है। यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया के कारण संक्रमित भोजन खाने और पानी पीने से होता है। इसे मियादी बुखार भी कहा जाता है। टाइफाइड में व्यक्ति को तेज बुखार, डायरिया और भूख ना लगना आदि जैसी समस्याएं होती हैं। टाइफाइड की समस्या लोगों में मानसून और पतझड़ के मौसम में ज्यादा देखने को मिलती है। जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है वे लोग इस बीमारी की चपेट में जल्दी आते हैं।

टाइफाइड में व्यक्ति को 104 डिग्री के ऊपर तेज बुखार होता है, इसमें सिर में तेज दर्द, कब्ज व डायरिया की शिकायत, भूख में कमी होना, थकान का अनुभव होना, ठंड लगना, पेट में तेज दर्द होना, शरीर में दर्द, गले में खराश जैसी समस्याएं होती हैं।

टाइफाइड पाचन तंत्र को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। टाइफाइड में अगर गलत चीजों का सेवन कर लिया जाए तो बुखार कम होने की जगह बढ़ जाता है और कई तरह की परेशानियां होती हैं वो अलग। दरअसल, दूध और दूध से बनी चीजों को पचने में काफी समय लगता है। साथ ही दूध पीने से गैस की भी समस्या होती है। टाइफाइड बुखार में दूध का सेवन इसलिए अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि टाइफाइड में रोगी की आंत पहले से ही प्रभावित हो चुकी होती है, जिससे रोगी को ढीला मल, पेट में दर्द व मरोड़ की शिकायत होती है। ऐसे में अगर व्यक्ति दूध का सेवन करता है, तो इससे दस्त के लक्षण गंभीर हो सकते हैं और रोगी को काफी परेशानी हो सकती है। इसलिए टाइफाइड में दूध व दूध से बनी चीजों को नहीं खाने की सलाह दी जाती है।

अगर किसी कारण से डॉक्टर टाइफाइड के किसी मरीज को दूध पीने की सलाह देते भी हैं तो उन्हें सिर्फ पॉश्चराइज्ड दूध पीने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि पॉश्चराइज्ड दूध में वसा की मात्रा ना के बराबर होती है और पॉश्चराइजेशन प्रक्रिया के दौरान दूध में मौजूद रोगजनक सूक्ष्मजीवों को मारने के लिए सेवन से पहले ही दूध को उबाला जाता है। पॉश्चराइज्ड दूध सेहत के लिए नुकसानदायक नहीं होता है इसलिए टाइफाइड रोगियों में संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए पॉश्चरीकृत दूध पीने की सलाह दी जाती है।

टाइफाइड में कोशिश करें कि आप चाय और कॉफी का सेवन भी न करें। ये चीजें भी नुकसानदायक होती हैं। साथ ही टाइफाइड में घी खाने से भी बचना चाहिए। कोशिश करना चाहिए कि रोगी का खाना बेहद ही कम तेल व मसालों वाला हो। टाइफाइड बीमारी में जितना हो सके अधिक वसा वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए, जैसे कि बाजार की चीजें, मिठाइयां, घी, पेस्ट्री, पनीर, दही और मलाई वाला दूध के सेवन से बचना चाहिए। टाइफाइड में मांसाहारी भोजन और प्याज लहसुन आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

टाइफाइड में ठंडी चीजों का सेवन करने से तबीयत और भी ज्यादा खराब होती है इसलिए ठंडी चीजों का सेवन करने से बचें।

टाइफाइड में हल्के गुनगुने पानी के साथ हल्दी पीना लाभकारी होता है।

टाइफाइड में दिन के समय थोड़े-थोड़े अंतराल में बुखार नापते रहना चाहिए।

टाइफाइड पूरी तरह से ठीक होने में 21-25 दिन का समय लग जाता है। इसलिए अपने खानपान का विशेष रूप से ध्यान रखें। लिक्विड फूड्स के साथ शुरुआत करें फिर आधे पके हुए भोजन को खाएं इसके बाद ठोस आहार की तरफ आएं। जब तक पूरी तरह से रिकवरी ना हो जाए तब तक आराम करना चाहिए। 

ए अंकिता को मीडिया इंडस्ट्री में 9 वर्षों का अनुभव है। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की और खास तौर पर लाइफस्टाइल और एंटरटेनमेंट बीट में रुचि रखती हैं। लेखन के अलावा वेब सीरीज़ देखना, घूमना, संगीत सुनना और फोटोग्राफी...