सतत् प्रवाहमय समय कब रुका या ठहरा है? दीवार पर चढ़ते उतरते कैलेंडर और बदलती तारीखें जरुर कभी-कभी चौका देती है, अरे ! ….. आठ साल गुजर गए पता ही नहीं चला…. पलक झपकते गुजर गये जिन्दगी के आठ बरस! ….. हां कहीं-कहीं ऐसे भी छलकता है जिन्दगी का प्याला …. एक तार, एक सुर […]
