मुन्सिफ के दर पर बहुत भीड़ थी। कारिंदे अंदर-बाहर आ-जा रहे थे। मुद्दई और मुद्दा अलैह एक-दूसरे को नफरत भरी निगाहों से देख रहे थे। एक के बाद एक आवाज लग रही थी। एक जोर की आवाज लगी- “हरगाह मुसम्मा हाजिर हो…!” हरगाह मुसम्मा बोला, “यह क्या बात है कि हर जगह मेरा ही नाम […]
