Summary : अरशद की जिंदगी उतार-चढ़ाव वाली रही
अरशद अपने कोरियोग्राफी के काम में खुश थे और एक्टिंग को गंभीरता से नहीं लेते थे। जया बच्चन ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें फिल्म के लिए ऑडिशन देने के लिए बुलाया।
Jaya Changed Arshad Life: अरशद वारसी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं और अभी जॉली एलएलबी 3 की सफलता का एंजॉय कर रहे हैं। वो आसुदा परिवार से थे लेकिन उन्हें शून्य से शुरू करना पड़ा। अरशद एक संपन्न परिवार की पैदाइश हैं। किसी जमाने में मुंबई के ग्रांट रोड पर उनके पास दो इमारतों वाला एक बड़ा बंगला था। जिंदगी ने अचानक करवट बदली। कानूनी विवादों के कारण उन्हें अपनी सारी संपत्ति गंवाना पड़ी। जिन किरायेदारों को वे घर में रहने देते थे, वही घर के मालिक बन बैठे। इसके बाद उन्होंने जुहू का अपना बंगला भी खो दिया और मजबूर होकर अपने भाई के साथ एक छोटे से कमरे में रहने लगे।
अरशद के पिता अहमद अली खान शायर और गायक थे। उन्होंने सूफी संत वारिस पाक के सम्मान में अपना उपनाम ‘वारसी’ रखा था। अरशद के जीवन पर सबसे गहरा सदमा तब पड़ा जब वो मात्र 18 साल के थे और उनके पिता की बोन कैंसर से मौत हो गई। इसके दो साल बाद उनकी मां भी किडनी फेल होने से चल बसीं। इस तरह अरशद कम उम्र में ही अनाथ हो गए और जीने के लिए संघर्ष करने लगे।
स्कूल छोड़ बसों में लिपस्टिक बेचना
आर्थिक तंगी के कारण अरशद को दसवीं कक्षा के बाद ही पढ़ाई छोड़ना पड़ी। गुजारा करने के लिए उन्होंने छोटे-मोटे काम करने शुरू किए। कभी मुंबई की बोरिवली से बांद्रा तक की बसों में बैठकर लिपस्टिक और नेल पॉलिश बेची, तो कभी फोटो लैब में नौकरी की। बाद में उन्होंने महेश भट्ट के सहायक निर्देशक के रूप में भी काम किया, ‘काश’ और ‘ठिकाना’ जैसी फिल्मों में उनकी मदद की। लेकिन इन सबके बीच वे अपने भविष्य की तलाश में लगे रहे।
डांस में मिली पहचान

कठिनाइयों के बीच अरशद को अगर कोई चीज रिलैक्स करती थी तो वो थी डांस। वे अकबर सामी के डांस ग्रुप से जुड़े, जहां उन्होंने अपनी कला को निखारा और बाद में कोरियोग्राफर बन गए। उन्होंने एलीक पदमसी और भरत डाभोलकर जैसे मशहूर थिएटर निर्देशकों के स्टेज म्यूजिकल्स में काम किया और मनोरंजन की दुनिया में अपनी पहचान बनाई। इसी दौरान उनकी प्रतिभा पर बॉलीवुड के लोगों की नजर पड़ी।
जया बच्चन से मिली किस्मत की चाबी

हालांकि अरशद को फिल्मों के ऑफर पहले भी मिले थे, लेकिन वे अपने कोरियोग्राफी के काम में खुश थे और एक्टिंग को गंभीरता से नहीं लेते थे। मगर किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही तय किया था। जया बच्चन ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें फिल्म के लिए ऑडिशन देने के लिए बुलाया। इसी के बाद उन्हें तेरे मेरे सपने (1996) में पहला मौका मिला, जो अमिताभ बच्चन के प्रोडक्शन हाउस के तहत बनी थी। यही उनके अभिनय करियर की शुरुआत साबित हुई।
‘सर्किट’ बनकर पूरे देश के दिलों पर छा गए
शुरुआती करियर में अरशद ने संघर्ष किया, लेकिन मुन्ना भाई एमबीबीएस में ‘सर्किट’ का किरदार निभाकर वे घर-घर में मशहूर हो गए। उनकी कॉमिक टाइमिंग और संजय दत्त के साथ उनकी जुगलबंदी ने सबका दिल जीत लिया। इसके बाद उन्होंने गोलमाल सीरीज में ‘माधव’ और धमाल सीरीज़ में ‘आदित्य श्रीवास्तव’ का किरदार निभाकर अपनी पहचान और पुख्ता की। आज वे अपनी कॉमेडी, बहुमुखी अदाकारी से लाखों के चहेते हैं।
