Summary: इको टूरिज्म या नेचर बेस्ड टूरिज्म की लोकप्रियता
लोग महंगे होटलों या भीड़-भाड़ वाले डेस्टिनेशन से ज़्यादा उन जगहों की ओर आकर्षित हो रहे हैं जहाँ उन्हें प्रकृति की गोद में कुछ शांत पल बिताने को मिलें। यही वजह है कि भारत में इको टूरिज्म या नेचर बेस्ड टूरिज्म की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है।
Nature Travel Destinations: तेज रफ्तार जीवन, बढ़ता प्रदूषण और तकनीक से भरी दिनचर्या ने आज के यात्रियों को थका दिया है। अब लोग महंगे होटलों या भीड़-भाड़ वाले डेस्टिनेशन से ज़्यादा उन जगहों की ओर आकर्षित हो रहे हैं जहाँ उन्हें प्रकृति की गोद में कुछ शांत पल बिताने को मिलें। यही वजह है कि भारत में इको टूरिज्म या नेचर बेस्ड टूरिज्म की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। यह ट्रेंड खासतौर पर उन यात्रियों के बीच पॉपुलर हो रहा है जो सस्टेनेबल ट्रैवल यानी टिकाऊ पर्यटन को महत्व देते हैं। आइए जानें कि किन-किन जगहों पर ऐसा नेचर-टूरिज्म बढ़ रहा है और ये स्थान खास क्यों हैं।
पहाड़ों का जादू उत्तराखंड

उत्तराखंड के कई इलाके जैसे चोपता, मुनस्यारी, बिनसर और कौसानी अब भीड़ से दूर नेचर लवर्स के लिए स्वर्ग बनते जा रहे हैं। यहाँ के घने जंगल, हिमालय के दर्शन और शांत वातावरण यात्रियों को मानसिक शांति देते हैं। स्थानीय होमस्टे और इको-फ्रेंडली रेसॉर्ट्स भी यहां के पर्यटन को और टिकाऊ बना रहे हैं।
बादलों की धरती मेघालय
मेघालय के गांव जैसे मावलीनोंग, डावकी और चेरापूंजी में ट्रैवलर्स प्रकृति के बेहद करीब पहुंचते हैं। यहाँ के साफ-सुथरे झरने, जीवंत नदियाँ और बांस के घर इको-टूरिज्म का बेहतरीन उदाहरण हैं। लोग ट्रेकिंग, लोकल गाइड्स के साथ गाँव भ्रमण और क्लीन ट्रैवल को बढ़ावा दे रहे हैं।
स्पीति घाटी का सौन्दर्य

स्पीति अब साहसिक और आत्मा से जुड़ने वाले यात्रियों की पसंद बन चुका है। यहाँ के मठ, नदियाँ, और घाटियाँ तो लोगों को पसंद आती ही आती हैं, यहाँ का शुद्ध वातावरण एक तरह से ध्यान की अनुभूति कराते हैं। यहाँ कई ट्रैवल ग्रुप अब सस्टेनेबल ट्रैवल प्रैक्टिसेस अपनाने लगे हैं। जैसे कूड़ा न फैलाना, लोकल स्टे और खाना।
वायनाड और मुन्नार
केरल का हरा-भरा इलाका, खासकर वायनाड, मुन्नार और थेक्कडी जैसे स्थान नेचर के प्रति जागरूक यात्रियों के लिए आदर्श बन गए हैं। कॉफी और मसाले के बागानों में रहना, ऑर्गेनिक खाना खाना और हाथी अभयारण्य जैसे स्थलों की यात्रा करना यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं।
सतपुड़ा और कान्हा

मध्यप्रदेश के जंगल अब सिर्फ टाइगर सफारी के लिए नहीं बल्कि नेचर रिट्रीट के लिए भी मशहूर हो रहे हैं। यहाँ जंगल कैंपिंग, रिवर साइड स्टे और गाँव के अनुभवों को समेटते हुए यात्रियों को एकदम अलग अनुभव मिल रहा है। जिसमें न इंटरनेट है, न हॉर्न, बस प्रकृति की आवाज।
नेचर टूरिज्म की लोकप्रियता
मानसिक स्वास्थ्य पहला कारण है जिसकी वजह से नेचर टूरिज्म पॉप्युलर हो रहा है। शहरों की भागदौड़ से दूर प्रकृति में समय बिताना तनाव को कम करता है। दूसरा कारण सस्टेनेबिलिटी है। जागरूक यात्री अब पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाने वाले विकल्प चुन रहे हैं। तीसरा है स्थानीय संस्कृति से जुड़ाव जिसकी वजह से नेचर टूरिज्म में गाँवों और लोकल समुदाय से जुड़ने का मौका मिलता है। इन्हीं वजहों से लोग प्रकृति की ओर लौट रहे हैं और इसी वजह से भारत में नेचर टूरिज्म एक नया लेकिन मजबूत चलन बन चुका है। आने वाले समय में ये ट्रेंड और भी प्रबल होगा जहाँ सफर का मतलब सिर्फ जगह बदलना नहीं बल्कि जीवन की गति को थोड़ा थामना होगा।
