दक्षिण रेलवे के मद्रास एगमोर-तिरुच्चिराप्पल्लि-रामेश्वरम् रेल मार्ग पर तिरुच्चिराप्पल्लि से 270 किलोमीटर की दूरी पर रामेश्वरम् स्टेशन है। रेलवे स्टेशन से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण भारत का आकार के अनुसार तृतीय वृहतम मंदिर ‘रामेश्वरम् मंदिर’ है। इसकी विशालता और भव्यता अद्भूत है। इस मंदिर को स्वामीनाथ मंदिर के नाम से भी जाना […]
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सावन, सोमवार और श्रद्धा
सावन मास में भगवान ‘आशुतोष शंकर’ की पूजा का विशेष महत्त्व है। सावन मास में जो प्रतिदिन पूजन न कर सके उसे सोमवार को शिव पूजा, व्रत आदि अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए क्योंकि सोमवार ‘भगवान शिव’ का प्रिय दिन है। सावन सोमवार की महत्ता को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। सावन में पार्थिव […]
आस्था की यात्रा कांवड़ यात्रा
धार्मिक मान्यताओं के लिए पूरे विश्व में अलग पहचान रखने वाले भारतवर्ष में कांवड़ यात्रा के दौरान भोले के भक्तों में अद्भुत आस्था, उत्साह और अगाध भक्ति के दर्शन होते हैं। कांवड़ियों के सैलाब में रंग-बिरंगे कांवड़ देखते ही बनते हैं। कांवड़ का अर्थ कांवड़ का मूल शब्द ‘कावर’ है जिसका सीधा अर्थ कंधे से […]
बांग्लादेश में भी देवी आराधना के हैं सब रंग
ढाका के लालबाग किले से लगभग 1 कि.मी. की दूरी पर स्थित है 800 साल पुराना ढाकेश्वरी मंदिर। यह बांग्लादेश में हिंदू संस्कृति और आस्था का प्रमुख केंद्र है। विभाजन पूर्व यह मंदिर संपूर्ण भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक था। लेकिन अब भी न सिर्फ बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू समाज बल्कि भारतीय […]
पूजा में बांधा जाने वाला कलावा सेहत के लिए भी है गुणकारी
अक्सर आपने देखा होगा कि पूजा के दौरान या फिर पूजा के बाद हाथ में कलावा बांधा जाता है। इसे रक्षा सूत्र या मौली भी कहा जाता है और ऐसी मान्यता है कि ये कलावा हमारी सभी बुरी चीज़ों से या बुरी नज़र से रक्षा करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये कलावा हमारी सेहत के लिए भी बहुत ज्यादा गुणकारी है।
जानें कब से शुरू है शारदीय नवरात्र , क्या है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि हिंदुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। पूरे भारत में लोग नवरात्रि के इन नौ दिनों के अवसर को बेहद ही उत्साह के साथ मनाते हैं खासतौर पर शारदीय नवरात्रि का अलग ही महत्त्व है। शारदीय नवरात्रि नौ दिनों तक चलती है और दसवें दिन दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है । इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह नौ रूप हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, देवी कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।
पितृ पक्ष में ऐसे दिखाते हैं पितर अपनी उपस्थिति , ये संकेत बताते हैं कि पूर्वज आपसे प्रसन्न हैं
पितृ पक्ष का समय ऐसा समय होता है जब ये माना जाता है कि हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस तरह से वो हमारे बीच अपनी उपस्थिति दिखाते हैं ?
पितरों को करना है प्रसन्न तो पितृ पक्ष में जरूर करें ये 5 काम
पितृ पक्ष मतलब पितरों को प्रसन्न करने का समय। कहा जाता है कि इन 16 दिनों में हम जो कुछ भी काम करते हैं उनका सीधा संबंध हमारे पितरों या पूर्वजों से होता है। पितृपक्ष में तर्पण करने से हमारे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और हमारे ऊपर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं। हिन्दू धर्म में […]
