Grehlakshmi Ki Kahani: इस विश्वविद्यालय में सिद्धार्थ को आए करीब महीने भर हो रहे थे। ये महीने भर उसके लिए बीस बरस से भी अधिक भारी पड़ रहे थे। करीब तीस बरस बाद आज उसी प्रांगण में वह खड़ा था जहां बरसों पहले अनूठे रंगमहल के ताने-बाने बुने थे उसने। वे भी क्या दिन थे […]
