बेटियां जीवन की शुरूआत तो पूरे जोश से करती हैं, वो जल्दी बोलना सीखती हैं, जल्दी चलना सीखती हैं, स्कूल में भी हमेशा मन लगाती हैं, लेकिन धीरे-धीरे बड़े होते-होते कुछ सामजिक प्रेशर, कुछ बदलते हारमोन उन्हें पीछे रहने के लिए मजबूर करने लगते हैं। ऐसे समय में पेरेन्ट्स की भूमिका अहम हो जाती है। पेरेन्ट अगर सूझ-बूझ से काम लें तो हमारी बेटियां हर स्थिति में रहेंगी पूरी तरह से कॉन्फिडेंट, पढ़िए-
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बच्चों को टीवी के सामने से उठाना है तो ट्राई करें ये टिप्स
बच्चों को उनकी पसंद के अनुसार छोड़ दिया जाए तो आप पाएंगे कि स्कूल जाने के अलावा उनकी सारी एक्टिविटी टीवी और फोन के स्क्रीन के सामने ही होती है। उन्हें काउच पोटैटो बनने से बच्चे के पेरेन्ट ही रोक सकते है। कैसे? उनके साथ समय बिता कर, उन्हें किसी हेल्दी, क्रिएटिव एक्टिविटी में व्यस्त […]
बड़े कारगर हैं सुष्मिता सेन के ये पेरेंटिंग मंत्रा
जब से लोग सुष्मिता सेन को जानते हैं, वो ये भी जानते हैं कि वो एक बहुत ही स्ट्रॉन्ग व्यक्तित्व की मालकिन हैं। अन्तर्राष्ट्रिय स्तर पर नाम कमाने के बाद सुष्मिता ने बॉलीवुड में अपने अनुसार काम किया, उन्होंने अपने अफेयर्स के बारे में खुलकर बात की और अपनी पहली बेटी रेनी को मात्र 24 साल की उम्र में ही सिंगल मदर के तौर पर अडोप्ट किया। फिर साल 2009 में उन्होंने अपनी दूसरी बेटी अलिषा को अडोप्ट किया।
