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आध्यात्मिक जीवन के चार उपाय – श्री श्री रविशंकर

समर्पण शब्द का अर्थ बहुत गलत समझा जाता है। समर्पण गुलामी नहीं। समर्पण ऐसी वस्तु नहीं जो किसी पर थोपी जा सके। समर्पण तो एक घटना है। प्रेम, श्रद्धा और अहोभाव के क्षणों में समर्पण की घटना घटती है।

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जीवन का उज्ज्वल पक्ष है आत्मज्ञान – श्री श्री रविशंकर

एक और विचारणीय तथ्य यह है कि तुम्हारा मन एक शीशे के समान है। कोई घटना घटी और यदि उसे तुम पकड़ कर बैठ जाओ कि ‘ऐसा तो नहीं होना चाहिए’ तो फिर बहुत समय तक तुम्हारा मन उसे घसीटता रहता है, और इस घटना की छाप मन पर जमी रहती है। मन तो शीशा है।