अनाड़ी जी, आठ मार्च महिला दिवस के बारे में आपका क्या कहना है?
रचना मोहन, दिल्ली
हमारे लिए तो हर दिवस
महिला दिवस है,
इसमें नहीं कोई असमंजस है।
महिलाएं हर क्षेत्र में इक्कीस हैं,
लेकिन टीस इस बात की है कि
देश में जनगणना के अनुसार
हज़ार में केवल नौ सौ उन्नीस हैं।
बचे हुए इक्यासी पुरुष
आठ मार्च को
दिन में आठ बार मार्च निकालें,
और इक्यासी कन्या-भ्रूण ह्त्यारों के लिए
खोजी टार्च निकालें।
होली पर यदि आपको कहा जाए कि किसी महिला को रंगना है तो आप किसे रंगेंगे?
शुभा खाड़े, भोपाल (म.प्र.)
अनाड़ी का तो
जन्मदिन ही होली है,
उन्हीं को रंगते हैं
उन्हीं के लिए रंगोली है।
पहले गुलाल के लिए
सुरक्षित हैं उन्हीं के गाल,
फिर बाहर निकलकर
दिखाते हैं कमाल।
आज के हर मैग्ज़ीन के मुखपृष्ठ पर ज़्यादातर नारी की तस्वीर क्यों होती है?
भारती अमन पटोल, वलसाड (गुजरात)
नारी दिव्य है
सुंदर है, अलौकिक है,
कवि की प्रेरणाओं के लिए
एक कोमल किक है।
और ये जो प्रकृति है,
नारी उसकी सर्वोत्तम कृति है।
नयनाभिराम देखो ऐसी है अनूपा,
मैं नहीं मानता कि
‘मोहि न नारि नारि के रूपा!
हर नारी चाहती है
मुखपृष्ठ वाली नारी जैसे कपड़े पहने,
उसी के जैसे हों ज़ेवर और गहने।
नारी को मान दें, सम्मान दें!
उसके सौंदर्य पर बलि-बलि जाएं,
लेकिन उसे बाज़ार की वस्तु न बनाएं।
शादी होने के बाद आदमी गंजा होकर कॉम्प्लैक्स में क्यों रहता है?
वर्षा चंद्रा, कानपुर (उ.प्र.)
देह के ऊपर कुदरत का
अनावश्यक शिकंजा नहीं होता,
किशोरावस्था और जवानी में
अगर रोगी न हो
तो कोई गंजा नहीं होता।
लेकिन जब उसे
गृहस्थी और रोज़गार के
बोझ उठाने पड़ते हैं,
तभी बाल झड़ते हैं।
पुरुष अगर बाल बने रहें
इस बात पर अडिग हैं,
तो उनके लिए हेअर ट्रांसप्लांटेशन हैं
रंग-बिरंगे विग हैं।
‘छोड़ दे कॉम्प्लैक्सियत
कॉम्प्लैक्सियत में क्या धरा?
मॉल में विग आ गए हैं
अब तो पगले मुस्करा।
अनाड़ी जी, कहते हैं कि बिल्ली रास्ता काटे तो बुरा होता है, आपकी क्या राय है?
महारानी बेरी, फरीदाबाद (हरियाणा)
जानवर आदमी का रास्ता नहीं काटते
आदमी उनका रास्ता काटता है,
कभी-कभी तो
उन्हें सचमुच काटकर
अपनी ज़रूरतों को पाटता है।
इस्तेमाल करता है उनके बाल
उनकी खाल, उनकी मूंछ,
तरह-तरह के ब्रुश बनाने के लिए
चाहिए उनकी पूंछ।
माना कि बिल्ली
आपकी राह में फूल नहीं बिछाती है,
लेकिन उदरपूर्ति के लिए
इस घर से सामने वाले घर में जाती है।
उसे भी अधिकार है कि
जीवन के लिए लेती रहे श्वास,
भगाइए लोगों का अंधविश्वास।
अनाड़ी जी, ज़्यादा बोलने वाले को कैसे चुप किया जाए?
नेहा शर्मा, नई दिल्ली
पहले यह बताइए कि
ज़्यादा बोलने वाला
क्या बोलता है,
कान खाता है या
कानों में रस घोलता है!
अगर नागवार गुज़रे तो
तो उसके अधरों में
किसी प्रकार की
अदृश्य सुई लगाइए,
या फिर उसे दिखाकर
अपने कानों में रुई लगाइए।
उसकी बातों पर
‘हां कहिए न ‘हूं,
स्वयं सोचेगा कि चुप रहूं।
चुप हो जाए तो उस पर
व्यंग्य मत कसिए,
मुस्करा कर देखिए
और प्यार से हंसिए।
फिर वह जो कुछ बोलेगा,
बोलने से पहले तोलेगा।
