Summary: Silver Hallmarking in India: अब चांदी पर भी होगी शुद्धता की गारंटी, जानें कीमतों और खरीद-बिक्री पर असर
1 सितंबर 2025 से चांदी की हॉलमार्किंग जरूरी हो जाएगी, जिससे शुद्धता की गारंटी और बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी। शुरुआती दौर में कीमतें थोड़ी बढ़ सकती हैं, लेकिन लंबे समय में ग्राहकों और उद्योग को लाभ मिलेगा।
Silver Hallmark: भारत में सोने की तरह अब चांदी की भी शुद्धता की जांच और प्रमाणन जरूरी हो गया है। 1 सितंबर 2025 से सरकार ने चांदी पर भी हॉलमार्किंग अनिवार्य करने का नियम बना रही है। इस फैसले से ज्वैलरी बाजार, निवेशक और आम उपभोक्ता सभी पर असर देखने को मिलेगा। सवाल यह है कि इस बदलाव का चांदी की कीमतों और खरीद-बिक्री पर क्या असर पड़ेगा?
हॉलमार्किंग क्या है और क्यों जरूरी है?
हॉलमार्किंग का मतलब है धातु की शुद्धता का सरकारी प्रमाण पत्र। जैसे सोने की ज्वैलरी पर 22K या 24K का निशान होता है, वैसे ही अब चांदी पर भी उसकी शुद्धता का नंबर अंकित होगा। यह प्रमाडन ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टेण्डर्ड्स (BIS) करेगा। इससे उपभोक्ता को शुद्ध धातु मिलने की गारंटी होगी। हॉलमार्क मिलने के बाद नकली और मिलावटी चांदी पर रोक लगेगी।
BIS ने तय किए छह ग्रेड

सरकार ने साफ कर दिया है कि अब बिना हॉलमार्क वाली चांदी का कारोबार मान्य नहीं होगा। सभी ज्वैलर्स को अपनी चांदी की ज्वैलरी और आर्टिकल्स को BIS प्रमाणित करवाना होगा। हॉलमार्किंग के बिना चांदी बेचने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। ग्रामीण और छोटे बाजारों में इसे लागू करने के लिए सरकार ने ट्रांजिशन का समय दिया था, जो अब खत्म हो रहा है। चांदी की शुद्धता की जांच के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने छह स्टैंडर्ड स्तर तय किए हैं। इन मानकों की मदद से यह आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि किसी आभूषण या वस्तु में चांदी कितने प्रतिशत शुद्ध है। नई व्यवस्था के तहत चांदी की शुद्धता के लिए छह ग्रेड निर्धारित किए गए हैं – 900, 800, 835, 925, 970 और 990।
कीमतों पर क्या असर पड़ेगा?
यह फैसला सीधे तौर पर चांदी की कीमतों को प्रभावित करेगा।
- शुद्धता की गारंटी मिलने से कीमतें पारदर्शी होंगी।
- पहले नकली या कम शुद्धता वाली चांदी भी असली दाम पर बिक जाती थी। अब ऐसा संभव नहीं होगा।
- शुरुआत में कीमतें थोड़ी बढ़ सकती हैं।
- हॉलमार्किंग शुल्क और प्रमाणन खर्चा ज्वैलर्स ग्राहकों से वसूल सकते हैं।
- लंबे समय में कीमतें स्थिर होंगी।
- क्योंकि बाजार में सिर्फ शुद्ध और प्रमाणित चांदी ही बिकेगी, जिससे दाम तय करने में पारदर्शिता आएगी।
ज्वैलर्स पर असर
छोटे ज्वैलर्स को शुरुआत में कठिनाई हो सकती है, क्योंकि हॉलमार्किंग के लिए उन्हें अतिरिक्त खर्च और समय देना पड़ेगा। बड़े ज्वैलर्स को फायदा होगा क्योंकि उनकी ब्रांड वैल्यू और ग्राहकों का भरोसा और मजबूत होगा। एक्सपोर्ट सेक्टर में भी यह नियम भारत की विश्वसनीयता बढ़ाएगा।
उपभोक्ताओं को मिलेंगे ये फायदे
- ग्राहकों को 100% शुद्ध चांदी की गारंटी मिलेगी।
- खरीदते समय धोखा खाने की संभावना कम होगी।
- हॉलमार्किंग से निवेशक भी निश्चिंत होकर चांदी खरीद सकेंगे, क्योंकि भविष्य में बेचते समय शुद्धता पर विवाद नहीं होगा।
चांदी पर हॉलमार्किंग अनिवार्य होने से बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी और नकली कारोबार पर रोक लगेगी। हालांकि शुरुआती दिनों में कीमतें थोड़ी बढ़ सकती हैं और ज्वैलर्स को कुछ कठिनाई होगी, लेकिन लंबे समय में इसका फायदा उपभोक्ताओं और पूरे उद्योग को मिलेगा। हालाँकि, शुरुआत में यह ग्राहकों पर निर्भर करेगा कि उन्हें हॉलमार्क वाली चाँदी लेनी है या बिना हॉलमार्क की।
