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अक्सर लोग बोलते हैं कि आंखें खुली रख कर छींकने से नजर पर असर होता है। कुछ लोगों का मानना है कि इससे पुतलियां बाहर की ओर आ सकती हैं, क्योंकि छींकने से आंखों पर प्रेशर पड़ता है।
Myth about Sneeze: मौसम बदलने के साथ छींके आना बहुत ही नॉर्मल बात है। लेकिन आपने कभी गौर किया है कि आप कैसे छींकते हैं। कहीं छींकते समय आपकी आंखें भी तो खुली नहीं रहती हैं। दरअसल, अक्सर लोग बोलते हैं कि आंखें खुली रख कर छींकने से नजर पर असर होता है। कुछ लोगों का मानना है कि इससे पुतलियां बाहर की ओर आ सकती हैं, क्योंकि छींकने से आंखों पर प्रेशर पड़ता है। लेकिन अब एक्सपर्ट ने इन सभी बातों की सच्चाई से पर्दा हटा दिया है।
जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी में मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. डेविड ह्यूस्टन ने हाल ही में छींकने से जुड़ी कुछ मिथक दूर किए हैं। इन मिथकों को सालों से लोग सच मानते आ रहे हैं। डॉ.डेविड का कहना है कि आंखें खोलकर छींकना बिलकुल संभव है। हालांकि ये बात अलग है कि आमतौर पर छींकते समय आंखें स्वाभाविक रूप से बंद होती हैं। इसके लिए आपके शरीर को कुछ एक्स्ट्रा नहीं करना पड़ता है। शरीर बिना सोचे समझे आंखें बंद करता है। लेकिन अगर छींकते समय आप खुली रखते हैं तो भी कोई परेशानी नहीं है। इससे दिमाग या आंखों पर कोई असर नहीं होता है।
इसलिए आती है छींक
डॉ. ह्यूस्टन का कहना है कि जब शरीर नाक और मुंह के माध्यम से फेफड़ों से जबरदस्ती हवा बाहर निकालता है तो छींक आती है। ऐसा आमतौर पर तब होता है जब कोई संक्रामक चीजें आपके नथुनों में प्रवेश करती है। ऐसा वायरस, एलर्जेन या किसी रसायन के कारण होता है।
मिर्च इसलिए बनती है आफत
छींक आने से आप भले ही परेशान होते हैं। लेकिन असल में छींक शरीर के लिए एक रक्षा तंत्र के रूप में काम करती है। इससे नाक से बलगम यानी स्नॉट बाहर निकलता है। और वायु मार्ग साफ होता है। इसकी मदद से बाहरी कणों और वस्तुओं को वायु मार्ग में प्रवेश करने से रोका जा सकता है। यही कारण है कि काली मिर्च या लाल-हरी मिर्च जैसे खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले पिपेरिन या कैप्साइसिन जैसे रसायन आपकी नाक की श्लेष्मा झिल्ली के अंदर तंत्रिका अंत को उत्तेजित करते हैं। इसलिए छींकें आती हैं। लेकिन इस प्रक्रिया से हानिकारक रसायन शरीर के अंदर प्रवेश नहीं कर पाते हैं।
इसलिए होती हैं आंखें बंद
एक्सपर्ट बताते हैं कि छींकते समय आंखें क्यों बंद होती हैं, इसका कोई स्पष्ट कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। लेकिन यह आंखों को कीटाणुओं से बचाने का एक अच्छा तरीका हो सकता है। हालांकि ये तर्क कि आंखें खुली रखकर छींकने से आंखें बाहर निकलती हैं या आंखों पर असर होता है। ये एक कोरी कल्पना है।
इस स्थिति में होती है परेशानी
एक्सपर्ट का कहना है कि छींक के कारण आंखों की पुतली पर इतना दबाव नहीं पड़ता है कि वह बाहर को आ जाए। अगर लगातार छींकने से आप आंखों पर दबाव या दर्द महसूस कर रहे हैं तो इसका दूसरा कारण हो सकता है। ऐसा सिर्फ उस स्थिति में हो सकता है, जब आपकी आंखों के आस-पास की रक्त वाहिकाओं में दबाव बनता है। इस दबाव के कारण रक्त संचार प्रभावित होता है, जिससे प्रेशर महसूस होता है।
