उम्र को बीमारियों और स्वास्थ्य की हालत एक हद तक प्रभावित करती है। जोड़ों का दर्द, सांस संबंधी समस्याएं, हड्डियों का कमजोर होना, रक्तचाप गड़बड़ाना आदि उम्र को घटाने का काम करते हैं। परंतु चिकित्सकों का दावा है कि बुढ़ापे से परेशान हर व्यक्ति के लिए यह जरुरी भी नहीं कि उसे यह सारी बीमारियां हो ही। यह सब ‘खराब चुनाव’ का ही नतीजा होता है। खासतौर से हम क्या कर रहे हैं तथा हम क्या खा रहे हैं? अमरीका में 200 मरीजों पर लगातार दो वर्षों तक किए गए एक परीक्षण में कुछ ऐसे ही नतीजे आए हैं। डॉक्टरों के दल ने पाया कि शारीरिक कर्मठता और स्वास्थ्य के प्रति चेतना  द्वारा ही बुढ़ापा रोका जा सकता है। डॉक्टरों ने माना कि व्यायाम से ज्यादा जादुई दवाई दुनिया में नहीं है। उनका दावा है कि यदि व्यक्ति प्रतिदिन कुछ समय व्यायाम को दे, तो एक हद तक उम्र के दबाव से बच सकता है।

विगत कई वर्षों से छरहरेपन को लेकर खासी चर्चा चल रही है। प्रौढ़ावस्था आते ही छरहरेपन की खासियत समझ में आने लगती है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रौढ़ावस्था में व्यक्ति के शरीर में चर्बी बढ़नी शुरु हो जाती है। व्यायाम के बिना एक उम्र तक ही वजन बरकरार रखा जा सकता है। परंतु ज्यों ही युवावस्था ढलने लगती है मांसपेशियां बढ़ने लगती हैं। इस उम्र में ‘वसा’ अपना चाल फैलाना शुरु कर देती है। इसलिए युवावस्था के ढलते ही व्यायाम अथवा टहलने को प्रमुखता देना जरुरी हो जाता है।

जब व्यायाम की बात की जाती है, तो प्रायः वही जवाब सुनने को मिलता है कि ‘मेरे पास समय नहीं है’ जबकि व्यायाम करने के लिए अतिरिक्त समय की जरुरत नहीं होती है। जरुरत केवल रुझान को जरा-सा बदलने का है। व्यायाम की शुरुआत ‘चुस्त विचारों’ से की जानी चाहिए। इसके साथ ही रोजमर्रा की जिंदगी में थोड़ा-सा हेर-फेर करना चाहिए। ऐसा करने से खुद-ब-खुद जबरदस्त बदलाव दिखने षुरु हो जाते हैं। सारे दिन में समय मिलते ही केवल कुछेक मिनट झट से व्यायाम के लिए इस्तेमाल कर डालने चाहिए। 15 मिनट भी   किया गया व्यायाम कुछ ही समय में असर दिखाने लगता है। जरुरी तो नहीं टहलने के लिए बगीचे या मैदान तक ही जाएं, बाहर लॉन में या बालकनी में 15 मिनट टहलकर काम चलाया जा सकता है। और कहीं न सही कुछ देर कमरे में व्यायाम करके असर देखा जा सकता है।

 इस पर भी कुछेक लोगों का दावा है कि उनके पास जरा भी खाली वक्त नहीं होता, टहलना या व्यायाम करना तो दूर खाना खाने के बाद अपने मोहल्ले का चक्कर मारने का भी समय नहीं मिलता। पास की दुकान में जाना हो या सीढ़िया उतर के बगल के फ्लैट में जाना, लोगों का कहना है कि उनके पास इतना भी समय नहीं होता कि वे वहां जाएं। इन सबसे बचना चाहते हैं, तो बस मानसिक रुप से खुद को तैयार करिए और जुट जाइए अपनी सेहत को सुधारने में। केवल 15-20 मिनट का यह ‘समय’ आपको हाकिमों और दवाइयों से तो छुटकारा दिलवाएगा ही, रोगों को भी दूर भगाएगा।

अनिद्रा, थकान, सुस्ती, चिड़चिड़ापन व्यायाम से खुद-ब-खुद खत्म हो जाते हैं और बढ़िया नींद, फुर्ती, ताजगी बनी रहती है। अब से 30 साल पहले तक चिकित्सकों की राय में 50 से ज्यादा उम्र वालों के लिए व्यायाम नहीं था परंतु नवीन सर्वे  रिपोर्टों के अनुसार 70 साल की उम्र तक भी यदि व्यायाम किया जाए, तो तंदुरुस्ती बनी रहती है। व्यायाम करने वाले वृद्ध लोग चुस्त और स्वस्थ नजर आते हैं। 

आज और अभी से शुरु करिए जिंदगी जीने का नया अंदाज, तभी अपनी उम्र से कम नजर आएंगे आप।