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यूँ बेबस और दुखी तो न होता-गृहलक्ष्मी की कविता

Hindi Kavita: विषधर ने विष धरा मानव कल्याण के लिएवो दर्द क्या इसलिए सहा उसनेकि उसको हर ओर विष फैला दिखेकाश समुद्र मंथन के दिनफैल जाने दिया होता विष उसने!कम से कम,आज खुद पे क्रोधित तो हो पातायूँ बेबस और दुखी तो न होता!राम ने वनवास झेला स्वच्छ समाज के लिएवो दुख क्या इसलिए सहा […]

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