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राहु हमारी कल्पना शक्ति है

शास्त्रोक्त मत: राहु दैत्यराज हिरण्यकश्यप की पुत्री सिंहिका का पुत्र माना जाता है। ऋग्वेद तथा अथर्ववेद में दैत्यगुरु के रूप में इनका उल्लेख मिलता है। अमृत वितरण के समय दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने गुप्तचर के रूप में इन्हें देवसभा में भेजा था। जहां भगवान शिव की कृपा से ये भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को समझ गए। तत्पश्चात्ï देव बनकर भगवान विष्णु से अमृत पान कर अमर हो गए। एक बार सूर्य और चंद्र द्वारा शिकायत करने पर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से इसका धड़ सिर से अलग कर दिया। फलस्वरूप धड़ केतु तथा सिर राहु कहलाया। घोर तपस्या के पश्चात्ï ब्रह्मïजी ने इन्हें आकाश मंडल में जगह दी।