डॉ॰ अशोक चक्रधर हिंदी के विद्वान, कवि एवं लेखक है। हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में वाचिक परंपरा का विकास करने वाले प्रमुख विद्वानों में से भी एक है। मैं अपने परम मित्र को क्या कहकर पुकारू? टेलीफ़िल्म लेखक-निर्देशक, वृत्तचित्र लेखक निर्देशक, धारावाहिक लेखक, निर्देशक, अभिनेता, नाटककर्मी, कलाकार तथा मीडिया कर्मी यह उनका बहुत छोटा सा परिचय […]
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नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब
बहुत सी नारियों का मानना है कि अगर सेंसर बोर्ड का अध्यक्ष अनाड़ी जी को बनाया जाए, तो आज की नई पीढ़ी को भटकने से रोका जा सकता है। इस पर आप क्या कहते हैं? – गीता ढाका, गुरुग्राम (हरियाणा) माफ करना गीता, सैंसर बोर्ड है एक फजीता। हम क्यों अपनी मिट्टी कुटवाएंगे, निमाता-निर्देशकों से […]
नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब
घर का खाना अच्छा या बाहर का खाना? सारिका वोहरा, हिमाचल प्रदेश बाहर मिले घर जैसा खाना और घर पर बाहर जैसा मिले, तो तबियत प्रसन्न हो और हृदय कमल खिले! वैसे खाना कहीं का भी हो हितकारी वही है जो मौसम, मन और मिजाज़ के अनुकूल बनाया जाता है, और प्यार से पकाया जाता […]
नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब
अनाड़ी जी, जो लोग जीवन में प्रेम का महत्व नहीं समझते, उनसे आप क्या कहेंगे?संगीता शर्मा, गाजियाबाद जो प्रेम नहीं करता,जीवन से पलायन है,ये प्रेम और क्या,जीवन का ही गायन है।सांसें नहीं ज़रूरीजो हमको रखें जि़ंदा,जीवन की धमनियों मेंवह प्रेम-रसायन है। अनाड़ी जी, आपकी नज़र में कौन ज़्यादा महान है, एक घरेलू महिला या सफलता […]
नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब
अनाड़ी जी, पति हमेशा पत्नी की हां में हां क्यों मिलाता है, इसकी वजह उसका डर है या पत्नी की खुशामद?– मीरा यादव, कानपुर पति हां में हां मिलाता है,ना में ना भी मिलाता है।पत्नी किसी बात को ना कर देतो उसकी क्या मजाल!इस स्त्री-उत्थान युग मेंअपनी चलाई तो जी का जंजाल।अगर वह विग्रह नहीं […]
नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब
अनाड़ी जी, इस बार रियो ओलम्पिक में नारी के कमाल को देखकर भारतीय पुरुष खिलाड़ी क्या अगाड़ी जाने की प्रेरणा लेंगे या पिछाड़ी ही रहेंगे?अदिति भारद्वाज, (प. बंगाल) ओलम्पिक मेंनारी ने जलवे दिखाए,पुरुष खिलाड़ी खास कुछ कर नहीं पाए।अब कुछ दिन पुरुषपिछाड़ी ही रहेंऔर अपने बाल नोंचें,नारी का सम्मान करना सीख जाएंतब बराबरी की […]
नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब
अनाड़ी जी, नैट के इस युग में किसी के पास आज बात करने का भी समय नहीं है, क्या पुराने दिनों की वापसी की कोई आशा है?– आनन्दी जैन, नई दिल्ली इन दिनों परस्परइतनी बातें हो रही हैंजितनी कभी नहीं हुईं इतिहास में,हज़ारों मील दूर का दोस्त भीचौबीस घंटे रहता है पास में।स्काइप, वाट्सएप, ब्लर्टवाइबर […]
