टो, पा, पी उत्तराफाल्गुनी‒3
पू, ष, ण, ठ हस्त‒4
पे, पो चित्रा‒3
ग्रह स्थिति
मासारम्भ में केतु तुला राशि का द्वितीय भाव में, शनि+मंगल कुंभ राशि का षष्ठम भाव में, शुक्र+गुरु मीन राशि का सप्तम भाव में, चंद्रमा+राहु+सूर्य मेष राशि का अष्टम भाव में, बुध वृषभ राशि का नवम भाव में चलायमान रहेंगे।
8 मई से 15 मई तक
दिनांक 8, 9 को शाम तक अच्छा समय रहेगा। आप इस वक्त सारे अधूरे कार्य पूर्ण कर लेंगे। आप स्वयं में काफी बदलाव लाएंगे, साथ ही दुनिया के प्रति मानसिक व आध्यात्मिक रूप से आपके दृष्टिकोण में परिवर्तन आएगा। 9 की शाम से 11 के मध्य समय हानिकारक है। लालसा और किसी चीज की प्रबल इच्छा आप पर हावी होगी जिस वजह से आप सही फैसला करने के बावजूद उस पर अमल नहीं कर पाएंगे। अपने स्वास्थ्य और मानसिक क्षमता के प्रति सचेत रहिए। 12, 13 को समय गति पक्ष में है। जीवन में आगे बढ़ने, लोगों से विचारों का आदान-प्रदान करने जैसी गतिविधियों में व्यस्त रह सकते हैं। आप इंटरनेट के जरिए काफी सारी जानकारियां जुटाएंगे एवं उन्हें अमल में लाएंगे। व्यापार बढ़ेगा। 14, 15 को मानसिक संतोषकारी समय रहेगा। प्रियजनों का साथ रहेगा। आपकी छवि बेहतर बनेगी।
कन्या राशि की शुभ-अशुभ तारीख़ें
2021 | शुभ तारीख़ें | सावधानी रखने योग्य अशुभ तारीख़ें |
जनवरी | 18, 19, 23, 24, 27, 28 | 2, 3, 10, 11, 12, 21, 29, 30 |
फरवरी | 14, 15, 19, 20, 23, 24 | 6, 7, 8, 17, 18, 26, 27 |
मार्च | 13, 14, 15, 18, 19, 20, 22, 23 | 6, 7, 8, 16, 17, 25, 26 |
अप्रैल | 10, 11, 15, 16, 19, 20 | 2, 3, 4, 13, 21, 22, 29, 30 |
मई | 7, 8, 12, 13, 16, 17 | 1, 10, 11, 18, 19, 27, 28, 29 |
जून | 3, 4, 5, 9, 10, 12, 13, 30 | 6, 7, 15, 16, 23, 24, 25 |
जुलाई | 1, 2, 6, 7, 10, 11, 28, 29 | 3, 4, 12, 13, 20, 21, 22, 31 |
अगस्त | 2, 3, 6, 7, 24, 25, 29, 30, 31 | 9, 10, 17, 18, 27, 28 |
सितम्बर | 2, 3, 4, 20, 21, 22, 26, 27, 30 | 5, 6, 13, 14, 15, 23, 24 |
अक्टूबर | 1, 18, 19, 23, 24, 27, 28, 29 | 2, 3, 10, 11, 12, 21, 30, 31 |
नवम्बर | 14, 15, 19, 20, 21, 23, 24 | 7, 8, 17, 18, 26, 27 |
दिसम्बर | 11, 12, 13, 17, 18, 21, 22 | 4, 5, 6, 14, 15, 23, 24, 31 |
कन्या राशि का वार्षिक भविष्यफल
यह वर्ष आपके लिए शानदार सफलता का वर्ष रहेगा। शनि इस वर्ष पंचम व षष्ठम स्थान में गतिशील रहेगा। इस वर्ष स्वास्थ्य में सुधार होगा। पुराने रोगों से सुधार की स्थिति बनेगी। पेट की बीमारी, पाचनतंत्र के रोग आदि से परेशानी रहेगी। यद्यपि इस वर्ष भाग्योदय व उन्नति में कई बार अवरोध आयेंगे। बृहस्पति अप्रैल तक छठे स्थान में रहेंगे। अतः गुप्त शत्रु व षड्यंत्र हावी रह सकते हैं। तीसरे स्थान में वर्षारंभ में केतु़़मंगलचंद्रमा का योग है, जो इस वर्ष पराक्रम में बढ़ोतरी के योग दिखला रहा है। व्यापार व कारोबार में नवीन संभावना का उदय होगा। 13 अप्रैल तक बृहस्पति आठवें स्थान में स्थित है, अतः विद्यार्थियों को पढ़ाई में आशा के विपरीत परिणाम मिलेंगे। कहीं न कहीं एकाग्रचित्तता का अभाव रहेगा। ध्यान में भटकाव रहेगा। शत्रु और विरोधी बिना बात ही आपकी आलोचना व निंदा करेंगे, आलोचना या निंदा से घबराने की बिलकुल भी आवश्यकता नहीं है। आप अपने काम को पूरी मेहनत, ईमानदारी व संजीदगी से अंजाम दें, इस वर्ष लेन-देन व रुपयों से संबंधित मामलों में विशेष सावधानी रखें।
मंगल वर्षारंभ में तीसरे स्थान में हैं। अतः भाइयों से लेन-देन बटवारे व सम्पति सम्बंधी विवाद तूल पकड़ सकता है। आपको अपनी वाणी, क्रोध व आवेश को काबू में रखना चाहिए। संतान से सम्बंधित कार्य पर धन एक ओर जहां खर्च होगा वहीं दूसरी ओर जरूरत खड़ी हो सकती है। आप इस वर्ष अपने ऐशो आराम पर खर्चा करेंगे। अपने व्यावसायिक
प्रतिद्वन्दियों व प्रतिस्पर्धियों से आपको कड़ी चुनौती मिल सकती है। आप अपनी योग्यता व क्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल व उपयोग करेंगे, हालांकि शुरुआत में एकदम परिणाम उसके पक्ष में नहीं आयेंगे लेकिन धीमे-धीमे आपको प्रतिफल प्रभावी ढंग से मिलेंगे। काम-काज में काम को योजनाबद्ध व सुनियोजित ढंग से करने की आवश्यकता है। इस वर्ष जुलाई से नवम्बर के मध्य अध्ययन क्षमता में कुछ कमी आयेगी। आपका ध्यान भटक सकता है। घर के किसी वरिष्ठ सदस्य का गिरता हुआ स्वास्थ्य आपकी चिंता का कारण बनेगा। बिना पढ़े किसी भी कागज या दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं करें, अन्यथा लेने के देने पड़ सकते हैं। किसी कानूनी समस्या का समाधान आप सूझबूझ, होशियारी व विवेक से निकालेंगे। नौकरी में बेहतर परिणाम भी इस वर्ष उत्तरार्द्ध में प्राप्त होंगे। बॉस व अधिकारी आपके काम से संतुष्ट रहेंगे। आपकी प्राथमिकता आपका करियर, आपका काम होगा। इस वर्ष घर में किसी नवीन वस्तु की खरीददारी होगी। धार्मिक कार्यक्रम व कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेंगे। भागीदार व पार्टनर से सम्बन्धों में सुधार आयेगा, हालांकि एकदम से उस पर भरोसा नहीं करें।
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कन्या राशि की चारित्रिक विशेषताएं
कन्या राशि का स्वामी बुध है। यह बुद्धि व ज्ञान का परिचायक ग्रह है तथा वाणी का ओज, वाक् चातुर्यता को परिलक्षित करता है।
कन्या राशि में उत्पन्न जातक अध्ययनशील होते हैं तथा कई विषयों के ज्ञानार्जन में उनकी रुचि रहती है। अतः समाज में सामान्यतया विद्वान के रूप में इनकी छवि रहती है। ये गुणवान व्यक्ति होते हैं, परन्तु स्त्रियों के प्रति इनके मन में अधिक आकर्षण रहता है। इनका भाग्य प्रबल रहता है तथा अल्प परिश्रम से ही इनके सांसारिक महत्त्व के कार्य सफल हो जाते हैं, जिससे भौतिक सुख-संसाधन एवं धनैश्वर्य की इनके पास प्रचुरता रहती है। ये अत्यंत बुद्धिमान होते हैं तथा अपनी तीक्ष्ण बुद्धि के द्वारा कठिन-से-कठिन समस्या का समाधान करने में समर्थ रहते हैं। अतः सरकारी कार्यों में प्रशासन के क्षेत्र में ये अपना योगदान प्रदान करते हैं तथा वहां सम्मानित एवं आदरणीय रहते हैं। ये भावुकता की अपेक्षा बुद्धि से कार्य लेते हैं, जिससे इनकी उन्नति का मार्ग सर्वदा प्रशस्त रहता है।
पिता के प्रति आपके मन में पूर्ण श्रद्धा होगी तथा उनकी सेवा करने में सर्वदा तत्पर रहेंगे। बाल्यावस्था में आपका समय संघर्षपूर्ण रहेगा। परन्तु मध्य अवस्था के बाद आप पूर्ण सुखी रहेंगे। पुत्र संतति से आप युक्त होंगे तथा इनसे आपको पूर्ण सुख सहयोग प्राप्त होगा। आप एक पराक्रमी पुरुष होंगे तथा स्वपराक्रम एवं योग्यता से सांसारिक कार्यों में सफलता अर्जित करेंगे। आप में तेजस्विता का भाव भी विद्यमान रहेगा। अतः अवसरानुकूल आपको उग्रता के भाव का यत्नपूर्वक परित्याग करना चाहिए। अन्य जनों के प्रति आपके मन में उदारता का भाव भी रहेगा। लेखन या कला संबंधी कार्यों में आपको सफलता मिलेगी।
धर्म के प्रति आपकी सामान्य श्रद्धा रहेगी तथा अल्प मात्रा में ही धार्मिक कार्यकलापों को संपन्न करेंगे। मित्र वर्ग में आपका प्रभाव रहेगा तथा सभी लोग आपको सहयोग प्रदान करेंगे। आप अपने पराक्रम, तेजस्विता, बुद्धिमत्ता तथा योग्यता से इच्छित मान-सम्मान प्राप्त करेंगे तथा सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करेंगे। कन्या राशि पिंगल वर्ण व स्त्रीसंज्ञक राशि है। (कन्या राशि वाले पुरुषों में स्त्रियोचित, सुंदरता, कोमलता, लज्जा एवं वाणी माधुर्यता पाई जाती है।)
बुध एक साम्यवादी ग्रह है, अतः इस राशि वाले व्यक्ति पर सोहबत व वातावरण का असर पड़े बिना नहीं रहता। बुरी संगति इनको बुरा बना देती है व अच्छी संगति में ये अच्छे बन जाते हैं। आप गन्दे, बदचलन मित्र-मण्डली से बचें। क्योंकि दूसरे लोगों के प्रभाव, आकर्षण केन्द्र में आ जाना, आपकी सबसे बड़ी कमज़ोरी है।
कन्या राशि द्विस्वभाव, द्विपद व वायु तत्त्व प्रधान राशि है। इसका प्राकृतिक गुण विद्याध्ययन व शिल्पकला है। इनकी विशेषता है कि ये अपनी उन्नति व मान का पूर्ण ध्यान रखने की कोशिश करते हैं। कन्या राशि का स्वभाव व मूल गुण मिथुन जैसे ही हैं, परन्तु यदि जन्म कुण्डली में बुध की स्थिति ख़राब है तथा हाथ में बुध पर्वत पदच्युत हो, कनिष्ठिका कुछ टेढ़ी-मेढ़ी हो, तो ऐसे जातक में पुरुषार्थ शक्ति की न्यूनता पाई जाती है। ऐसे जातकों में शुक्राणुओं की कमी रहती है तथा इनकी दाढ़ी कभी भरपूर नहीं आती।
यदि आपका जन्म कन्या राशि में ‘उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र’ के (टो, पा, पी) अक्षरों में है, तो आपका जन्म छः वर्ष की सूर्य की महादशा में हुआ है। आपकी योनि-गौ, गण-मनुष्य, वर्ण-वैश्य, हंसक-भूमि, नाड़ी-आद्य, पाया-चांदी, प्रथम चरण का वर्ग-श्वान एवं अंतिम दो चरण का वर्ग-मूषक है। इस नक्षत्र में जन्मे जातक धनी व सुखी होते हैं। जातक आकर्षक व्यक्तित्व का धनी एवं शत्रुओं का नाश करने में दक्ष होता है। ‘उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र’ में जन्मे व्यक्ति की पुरुषार्थ शक्ति तेज़ रहेगी। आप मूलतः समझौतावादी व्यक्ति हैं। झगड़े व व्यर्थ के तर्क-वितर्क में आपका विश्वास नहीं, अपितु आप प्रेम व शांति से किसी विवाद को सुलझाना पसंद करेंगे।
यदि आपका जन्म कन्या राशि में ‘हस्त नक्षत्र’ के (पू, ष, ण, ठ) अक्षरों में है, तो आपका जन्म 10 वर्ष की चंद्र की महादशा में हुआ है। आपकी योनि-भैंस, गण-देव, वर्ण-वैश्य, हंसक-भूमि, नाड़ी-मध्य, पाया-चांदी, प्रथम चरण का वर्ग-मूषक, द्वितीय चरण का वर्ग-मेढ़ा और अंतिम दो चरणों का वर्ग-श्वान है। हस्त वाले महत्त्वाकांक्षी होते हैं तथा अपनी बुद्धि एवं विद्याबल से ख़ूब सम्पत्ति अर्जित करते हैं।
यदि आपका जन्म कन्या राशि में ‘चित्रा नक्षत्र’ के प्रथम, द्वितीय चरण (पे, पो) में है, तो आपका जन्म सात वर्ष की मंगल की महादशा में हुआ है। आपकी योनि-व्याघ्र, गण-राक्षस, वर्ण-वैश्य, नाड़ी-मध्य, हंसक-भूमि, पाया-चांदी, वर्ग-मूषक है। चित्रा नक्षत्र के जातक विचित्र वेशभूषा पहनते हैं। इनमें स्त्रियोचित वस्त्राभूषण पहनने का शौक होता है। ये लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं तथा अपनी सुविधाओं में कटौती स्वीकार नहीं करते।
बुध सूर्य का सर्वाधिक निकटवर्ती ग्रह है। उदीयमान व अस्तांचल की ओर जाते हुए सूर्यकाल के समय ही इसके दर्शन संभव हैं। सूर्य के निकट होने से इनमें सूर्य के समान तेजस्विता होती है। कन्या राशि वाले जातक बहुत ही सुंदर व चतुर होते हैं। बुध कन्या राशि में उच्च का होता है। प्रायः कन्या राशि वाले व्यक्ति उच्च कोटि के विद्वान व लेखक होते हैं।
कन्या राशि वालों के लिए उपाय
4 1/4 रत्ती का ‘ओनेक्स’ रत्न ‘बुध यंत्र’ में जड़वाकर धारण करें। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें। तुलसी के पौधे को रोज़ाना सींचे। गणपति जी को प्रत्येक बुधवार 11 दूर्वा चढ़ाएं। ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का जाप करते हुए प्रत्येक दूर्वा गणपति जी को अर्पित करें।
कन्या राशि की प्रमुख विशेषताएं
- राशि ‒ कन्या
- राशि चिह्न ‒ हाथ में धान व अग्नि लिए हुए कुंवारी कन्या
- राशि स्वामी ‒ बुध
- राशि तत्त्व ‒ पृथ्वी तत्त्व
- राशि स्वरूप ‒ द्विस्वभाव
- राशि दिशा ‒ दक्षिण
- राशि लिंग व गुण ‒ स्त्री
- राशि जाति ‒ वैश्य
- राशि प्रकृति व स्वभाव ‒ सौम्य स्वभाव, वात प्रकृति
- राशि का अंग ‒ उदर (पेट)
- अनुकूल रत्न ‒ पन्ना
- अनुकूल उपरत्न ‒ मरगज, जबरजद
- अनुकूल रंग ‒ हरा
- शुभ दिवस ‒ बुधवार, रविवार
- अनुकूल देवता ‒ गणपति
- व्रत, उपवास ‒ बुधवार
- अनुकूल अंक ‒ 5
- अनुकूल तारीख़ें ‒ 5/14/23
- मित्र राशियां ‒ मेष, मिथुन, सिंह, तुला
- शत्रु राशियां ‒ कर्क
- शुभ धातु ‒ सोना
- व्यक्तित्व ‒ दोहरा व्यक्तित्व, विद्वान, युद्धभीरु, आलोचक, लेखक
- सकारात्मक तथ्य ‒ निरन्तर क्रियाशीलता, व्यावहारिक ज्ञान
- नकारात्मक तथ्य ‒ अतिछिद्रान्वेषी, बुराई ढूंढना, कलहप्रियता, अशुभ चिन्तन, नपुंसकता