कुछ लोगों की आदत होती है कि वो अभद्र भाषा का प्रयोग किया बिना बात नहीं करते मतलब वो बात-बात पर गाली देते नज़र आते हैं. फिर चाहे वो ऑफिस में हो या घर पर। मनोचिकित्सक श्वेता कहती हैं कि इस तरह के इंसान शब्दों के सहारे सामने वाले को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। भारतीय समाज में  इसे बहुत मामूली बात मानी जाती है पर मामूली कही जाने वाली इस भाषा का इस्तेमाल महिलाओं पर ज्यादा किया जाता है। यहां हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बता रहें हैं, जिनको अपनाकर आप इसके खिलाफ आवाज़ उठा सकती हैं। 

क्या करें 

  • श्वेता कहती हैं कि अगर आपके साथ कोई इस तरह से बात कर रहा है तो मामूली बात समझकर चुप ना रहें बल्कि आवाज उठाएं, क्योंकि इस तरह की भाषा मानसिक चोट ज्यादा पहुंचाती है इसलिए स्टॉप लगाना बहुत ज़रूरी होता है। 
  • अगर आपके साथ पहली बार इस तरह की लैंग्वेज का इस्तेमाल किया गया है तो बहुत ही आराम से बात बात में सामने वाले को बोल दें कि आपको ऐसी लैंग्वेज अच्छी नहीं लगती है। अगर फिर भी अपशब्दों का सिलसिला जारी है तो उसे हल्के में बिल्कुल भी ना लें। 
  • कोशिश करें कि जब इंसान ऐसी भाषा का प्रयोग करे तो आप अपने कंट्रोल में रहें।  हो सके तो उसके सामने से हट जाएं ताकि उसको लगे कि आपको इस तरह की भाषा बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रही। 
  • इस तरह के व्यवहार को बिल्कुल भी ना स्वीकार करें ये सोच कर की परिवार में ये सब चलता है क्योंकि इसका असर बच्चों पर भी गलत पड़ता है।  
  • अगर आपके साथ इस स्थिति में परिवार का  कोई सदस्य साथ नहीं देता है तो आपको खुद ही स्टैंड लेना होगा नहीं तो ये चीज़ें दिनप्रतिदिन बढ़ती जाएंगी। 

 

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