Joint Pain Remedy: पहले अधिक उम्र के लोगों को जोड़ों का दर्द होता था लेकिन समय के साथ यह समस्या 30 से 35 साल की महिलाओं में भी दिखाई देने लगी है। खासकर, सर्दियों में यह दर्द काफी बढ़ जाता है, तो आइए जानते हैं कैसे आप इस मौसम में जोड़ों के दर्द से बच सकती हैं।
ठंड के दिनों में अकसर शारीरिक गतिविधियां काफी कम हो जाती है। ऐसे में मांसपेशियां सुस्त और अकड़ने लगती हैं, जिसके कारण कई सारी शारीरिक तकलीफें शुरू हो जाती हैं, विशेषकर जोड़ों का दर्द इस समय काफी बढ़ जाता है। आमतौर पर बोन डेंसिटी कम होने के कारण उम्रदराज लोगों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। हालांकि, वर्तमान जीवनशैली के कारण कम उम्र के लोग भी इससे अछूते नहीं हैं, जिन्हें आर्थराइटिस न होने पर भी कलाई, कोहनी, टखना और घुटनों में दर्द बढ़ जाता है।
Joint Pain Remedy: क्या है कारण

मांसपेशियों का शिथिल पड़ना: उम्र बढ़ने पर मांसपेशियों में शिथिलता आना स्वाभाविक है और उनमें लचीलापन कम हो जाता है। सर्दियों में ये दिक्कत ज्यादा बढ़ जाती है। इसका सबसे बड़ा कारण ये होता है कि इस मौसम में हम सभी थोड़े सुस्त हो जाते हैं। मांसपेशियां फूलने या बढ़ने लगती हैं। चलने या हरकत होने पर मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे दर्द महसूस होता है।
हवा का बैरोमैट्रिक प्रेशर का कम होना: वैज्ञानिक थ्योरी के हिसाब से जोड़ों की मांसपेशियों को सामान्य तरीके से काम करने के लिए हवा का बैरोमैट्रिक प्रेशर बहुत जरूरी है, जोकि सर्दियों में बहुत कम होता है। घुटनों, टखनों, हिपबोन जैसे वेट बियरिंग जाइंट्स में साइनोवल फ्ल्यूड या कार्टिलेज कम होने लगती है। उनके आसपास के लिंगामेंट या कैपस्यूल में अकड़न आ जाती है। ठंड का स्तर बढ़ने से जोड़ों में दर्द की समस्या रहती है।
रक्त का प्रवाह कम होना: ठंड के मौसम में गिरते तापमान से शरीर की रक्त वाहनियां सिकुड़ने लगती हैं और उस हिस्से में रक्त का प्रवाह कम होने लगता है। सर्दियों में हार्ट, किडनी, लिवर जैसे अंदरुनी अंगों की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए इन अंगों के आसपास रक्त प्रवाह बढ़ जाता है, जबकि हाथ-पैर या विभिन्न जोड़ों तक रक्त प्रवाह अपेक्षाकृत कम होता है, जिसकी वजह से हाथ-पैर ठंडे रहते हैं और जोड़ सिकुड़ने लगते हैं। परिणामस्वरूप, उनमें दर्द रहता है।
धूप का अभाव: किन्हीं कारणों से जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में धूप नहीं मिल पाती है तो शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है, जो कैल्शियम के अवशोषण और हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है। विटामिन डी की कमी से जोड़ों में दर्द रहता है।
वजन बढ़ने की वजह से: सर्दियों में मीठा खाने या गर्म चीजें ज्यादा खाने और शारीरिक गतिविधियां न करने की वजह से वजन बढ़ने लगता है। इसका असर पैरों की हड्डियों पर पड़ता है और जोड़ों में दर्द को ट्रिगर करता है।
ऐसे करें बचाव

शरीर को गर्म रखें: सबसे जरूरी है शरीर को वॉर्म रखना और ठंड के एक्सपोजर से बचाना। इसके लिए सिर से पैर तक गर्म कपड़े पहनें। खासकर बाहर जाते हुए किसी तरह की लापरवाही न बरतें। नी-कैप जरूर पहनें। इससे ठंडी हवा से घुटनो का बचाव होगा, दूसरा कैप सपोर्ट मिलेगी। ठंड से बचने के लिए मोटे, भारी-भरकम कपड़ों के बजाय इंसुलेटिड लेयर वाले ढीले-ढाले कपड़े पहनें। ज्यादा लेयर में कपड़े पहनने से हीट स्टोर रहेगी और शरीर गर्म रहेगा।
एक्टिव रहें: आलस त्यागें और यथासंभव एक्टिव रहें। अधिक देर तक बैठे या लेटे न रहें। घर हो या ऑफिस, कोशिश करें कि काम खड़े होकर करें। अगर बैठकर काम करना जरूरी है तो हर आधे घंटे बाद सीट से उठें और 4-5 मिनट के लिए टहलें या हल्की-फुल्की स्ट्रेचिंग करें। सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे के बीच कम से कम 15-20 मिनट वॉक करें।
एक्सरसाइज करें: अपनी शारीरिक बनावट और मेडिकल कंडीशन के आधार पर रोजाना हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें। घर में स्टेशनरी साइकिलिंग करना बेस्ट है। इससे मांसपेशियों मजबूत बनेंगी और जोड़ों में दर्द कम होगा। फिजियोथेरेपी की मोबेलिटी, स्ट्रेचिंग या मसल स्ट्रेंथनिंग, वेट बियरिंग एक्सरसाइज करें। नी-बैंड, आइसोमैटिक घुटने की स्ट्रेचिंग, हैम्सटिंग। मांसपेशियों और जोड़ों का लचीलापन कायम रखने के लिए दिन में खाली पेट किसी भी समय 30-40 मिनट तक योगा करें।
मसाज और सिकाई है उपयोगी: शरीर के दर्द वाली जगह पर कायरोप्रेक्टर, एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर थेरेपी भी की जा सकती है। जिस जगह दर्द हो रहा है, वहां मालिश करें या स्ट्रेचिंग, बॉल मसाज या फिर फॉम रोलर करें। अरंडी, सरसों या नारियल तेल को हल्का गुनगुना करके मालिश करें। दर्द वाली जगह पर हीटिंग पैड या गर्म पानी में भीगे तौलिये से सिकाई करें।
धूप में बैठें: रोजाना कम से कम 30 मिनट धूप सेंके। धूप से मिलने वाला विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक है।
संतुलित खानपान: अपने खान-पान में बदलाव लाएं। मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए गर्मियों के मुकाबले सर्दियों में कैलोरी, प्रोटीन ज्यादा खाएं। रोजाना आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन के, विटामिन सी, विटामिन डी, दूध-दही, चीज, सोयाबीन, साबुत अनाज, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां, मूंगफली, अंडा, मीट, चिकन, मछली जरूर शामिल करना चाहिए। रोजाना विटामिन सी वाले फल जैसे- कीनू, संतरा, मौसमी जरूर खाएं। ये चीजें हेल्दी होने के साथ एंटी इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर होने के साथ जोड़ों में सूजन और दर्द को कम करने में सहायक होती हैं।
पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं: आमतौर पर सर्दियों में लोग कम पानी पीते हैं, जिसकी वजह से जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है, जबकि दिन में कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है, जिससे शरीर में मौजूद मांसपेशियों में खिंचाव नहीं होता और जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।
वजन करें नियंत्रित: सर्दियों में कोशिश करें कि रात के समय मीठा कम खाएं। दिन भर में सीमित मात्रा में खाएं। अपने वजन के प्रति सजग रहें और 8-10 दिन में वजन चैक करते रहें।