जोधपुर और उदयपुर के बीच एक खूबसूरत नगरी है -रणकपुर। जहां की नैसॢगक प्राकृतिक छठा बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। ऐतिहासिक सभ्यता एवं संस्कृति को सहेजती रणकपुर भूमि ऐतिहासिक धरोहरों की प्रतीक रही है। राजस्थान की इस पावन मिट्टी में वर्षों की परंपरा की खुशबू है जिसे प्रकृति की हरी-भरी चादर ने और भी खूबसूरती से सजाया है। यहां की ग्रामीण संस्कृति और जनजीवन जितना सरल है उतना ही वैभव से भरा है। तो चलिए इस बार चलते हैं रणकपुर की सैर पर, जहां आपको प्राकृति की बेहतरीन छठा के साथ-साथ ऐतिहासिक जनजीवन जीने का भी मौका मिलेगा।
एक शाम ठंडी बेरी के नाम-
मना रणकपुर से 23 किमी की दूरी पर स्थित ठंडी बेरी एक फॉरेस्ट लॉज है, जहां से आपको प्रकृति को करीब से जानने का मौका मिलेगा। यहां आपको लक्ज़री सुविधाएं तो नहीं मिलेंगी लेकिन आप इसकी कमी को प्रकृति की खूबसूरती के साथ भूल जाएंगी। ठंडी बेरी प्रकृति को नज़दीक से जानने का मौका देती है। यह खूबसूरत जगह रोमांटिक कपल्स के लिए उपयुक्त तो है ही साथ ही योगा, मेडीटेशन के लिए एक अच्छा विकल्प है।

रणकपुर जैन मंदिर-
रणकपुर की भूमि जैन धर्म के मंदिरों से पवित्र है। इसके अलावा ये मंदिर ना केवल धर्म और आस्था के प्रतीक हैं बल्कि ये स्थापत्य कला के भी बेहतरीन उदाहरण हैं। 1,494 हस्तनिॢमत रणकपुर मार्बल पिलर यहां की $खासियत है। तन-मन की शांति के लिए हर शाम होने वाली पूजा और एक लय में बजती घंटियां यहां के वातावरण को मनमोहक बना देती है। चौमुखा मंदिर रणकपुर को एक अलग पहचान देता है, साथ ही जैन धर्म के अनुयायियों के लिए यह भूमि एक विशिष्ट सम्मान रखता है।

गांव सफारी-

बैलगाड़ी की सवारी शायद उन लोगों की किस्मत में रही होगी जो ग्राम्य परिवेश से हैं। लेकिन शहर आकर कहीं पीछे छूट गई गांव की इस ‘एक्सप्रेस गाड़ी पर बैठने का मोह आप संकरी सड़कों पर इससे सवारी करने का मोह कम से कम वे लोग तो नहीं छोड़ पाएंगे जिन्होंने ग्राम्य जीवन की झलक अब तक किताबों या फिल्मों में ही देखी है। इस सवारी से फार्म से लेकर स्थानीय दुकानों तक की सवारी कर सकते हैं।

स्टड फार्म-
रणकपुर राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां का इतिहास राजा-महाराजाओं का रहा है। ऐसे में यहां आकर घोड़े की सवारी किए बिना बात नहीं बनेगी। इस सवारी के साथ आपको स्टड फार्म तक ले जाया जाएगा जहां घोड़ों की विभिन्न नस्लों को देख और उसकी सवारी कर सकते हैं।

रणकपुर बांध-
रणकपुर से 2 किमी दूर स्थित रणकपुर बांध एक प्राकृतिक दर्शनीय स्थल है। इतिहास में यह बांध जोधपुर के राजा-रानी के विश्राम और शांति का स्थल था। अरावली पर्वत से घिरा यह बांध प्राकृतिक रूप से काफी समृद्ध है।

जवाई बांध-
1957 में महाराजा उमेद सिंह द्वारा निॢमत यह बांध आज पूरे जोधपुर शहर के पानी का मुख्य स्रोत है। व्यवसायिक रूप से जहां इस बांध को पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े बांध होने का गौरव प्राह्रश्वत है वहीं दूसरी ओर यह पर्यटकों के भी प्रिय जगहों में से एक है। यह बांध प्रवासी पक्षियों का भी मुख्य स्थल है। रणकपुर के गांव की सवारी के लिए यहां के स्थानीय बैलगाड़ी पर्यटकों के लिए सबसे अच्छी सवारी है।

बेरा-
प्रकृति प्रेमियों के लिए अरावली की गोद में बसा बेरा एक उत्तम नगर है, जहां उत्तर भारत के एकमात्र स्थल पर चीता को देख सकते हैं।

कुंभलगढ़ किला-
मेवाड़ के महान राजा महाराणा प्रताप की जन्मस्थली है कुंभलगढ़ किला, जहां की दीवारों में ना केवल समृद्ध इतिहास बसता है बल्कि यह वन्य प्राणियों के लिए भी $खास है।

‘माना होटल-
रणकपुर की गलियों को भारत के मानचित्र पर एक पहचान दिलाई यहां की सांस्कृतिक धरोहरों ने और ‘माना होटल ने। हालांकि इसका निर्माण हाल के वर्षों में हुआ है, जो पर्यटकों को रणकपुर की गली-गली में सैर कराने की भी सुविधा उपलब्ध करवाता है। वर्तमान समय में बढ़ते रूरल टूरिज्म को देखते हुए ‘माना होटल जहां मेहमानों को सभी आधुनिक सुख-सुविधा उपलब्ध करवाता है वहीं यह रणकपुर के ऐतिहासिक धरोहरों के दर्शन भी करवाता है। अरावली पर्वत से घिरा यह होटल एक ओर रूरल टूरिज्म को बढ़ावा दे रहा है तो दूसरी ओर भारतीय इतिहास को पुन: जीवित कर नए जेनरेशन से भी परिचित करवा रहा है।

स्थानीय व्यंजन-
यहां की $खासियत में से एक है यहां की स्थानीय कुज़ीन। यहां के ज़ायके में राजस्थानी थाली का चटकारा है तो दाल-बाटी, चूरमे में परंपरागत राजस्थानी स्वाद का मज़ा। पापड़ की सब्जी, केरसंगरी की सब्जी यहां के लाज़वाब व्यंजनों में से एक है।

                           कैसे पहुंचे
 नई दिल्ली (573 किमी), उदयपुर (95 किमी)- रणकपुर।रेल मार्ग : नई दिल्ली से उदयपुर की यात्रा 15 घंटे की है, जहां से रणकपुर लोकल गाडिय़ों से पहुंचा जा सकता है।सड़क मार्ग : रणकपुर नई दिल्ली, अहमदाबाद, जोधपुर, जयपुर और इंदौर से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है।