Phulera Dooj: होली से कुछ समय पहले आती है फुलेरा दूज। एक ऐसा दिन, जो सभी दोषों से मुक्त होता है। इसलिए फुलेरा दूज के दिन सभी तरह के शुभ कार्य करने का विधान है। इस बार यह पर्व 21 फरवरी को है। कहते हैं कि भारत में इस दिन सबसे ज्यादा शादियां होती हैं। यह त्योहार उत्तर भारत के सभी क्षेत्रों में मनाया जाता है, विशेष रूप से ब्रज, मथुरा और वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की पूजा-अर्चना की जाती है।

धर्म शास्त्र के जानकारों के अनुसार, फागुन के महीने में शुक्ल पक्ष द्वितीया को यह पर्व मनाया जाता है। फुलेरा का शाब्दिक अर्थ है ‘फूल’, जो फूलों को संदर्भित करता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण फूलों से होली खेलते हैं, इसलिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ रंग-बिरंगे फूलों से होली खेली जाती है। मान्यता है कि यह त्योहार लोगों के जीवन में खुशियां और उल्लास लेकर आता है। वसंत पंचमी और होली केत्योहार के बीच आयोजित होने वाले इस पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। इस दिन हजारों भक्त वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं। पर्व के लिए श्री बांके बिहारी मंदिर को फूलों से सजाया जाता है।
फुलेरा दूज की कहानी
माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण काफी समय से अपने काम में व्यस्त थे, जिसके कारण भगवान कृष्ण, राधाजी से नहीं मिल पाए थे। इस कारण राधा रानी बहुत उदास रहने लगीं। राधा रानी के दुखी होने के कारण प्रकृति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। प्रकृति की दशा देखकर भगवान कृष्ण राधा रानी का दुख और नाराजगी दूर करने के लिए उनसे मिलने गए। जब भगवान कृष्ण राधा रानी से मिले, तो राधा जी और गोपियां प्रसन्न हुईं, चारों ओर फिर से हरियाली छा गई। श्रीकृष्ण ने एक फूल तोड़ा और राधारानी पर फेंक दिया। इसके बाद राधा जी ने भी फूल तोड़कर कृष्ण जी पर फेंके। फिर गोपियां भी एक दूसरे पर फूल फेंकने लगीं। हर तरफ फूलों की होली शुरू हो गई। यह सब फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ। तभी से इस तिथि को फुलेरा दूज के नाम से मनाया जाने लगा।
कैसे मनाते हैं दूज
इस दिन घर में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और अपने ईष्ट देव के साथ राधा-कृष्ण को अबीर-गुलाल अर्पित किया जाता है। साथ ही रंगीन कपड़े का छोटा सा टुकड़ा श्रीकृष्ण की कमर पर बांध दिया जाता है, जो इस बातका संकेत है कि कृष्ण अब होली खेलने के लिए तैयार हैं।
आरती
आरती कुंज बिहारी की
श्री गोवर्धन महाराज की आरती
श्री खाटू श्याम जी की आरती
श्री कृष्ण की आरती
बांके बिहारी तेरी आरती गुन
एकादशी माता की आरती
श्री राधा जी की आरती – कृष्ण संग जो करे निवास
श्री राधा जी की आरती – आरती श्री वृषभानु सुता की
मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
श्रीकृष्ण श्लोक – मन्दं हसन्तं प्रभाय
वासुदेवसुतन देवम – कृष्ण मंत्र
श्री राधा कृष्ण अष्टकम्
श्रीकृष्ण जयंती निर्णयः
चालीसा
श्री कृष्ण चालीसा
स्तुति
श्री कृष्ण स्तुति
स्त्रोत्रम
अथा श्री कृष्णाष्टकम
श्री राधाकृष्ण स्तोत्रम् – वन्दे नवघनश्याम पिटकौसेय
दिन और तिथि
मंगलवार, 21 फरवरी 2023
द्वितीया तिथि प्रारंभ – 21 फरवरी 2022 को सुबह 09:04 बजे
द्वितीया तिथि समाप्त – 22 फरवरी 2022 को सुबह 05:57 बजे