हर माता पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा समझदार,संस्कारी,और एक अच्छा इंसान बने,लेकिन,ऐसे गिने चुने पेरेंट्स ही होंगे जो,इस सपने को साकार कर पाते होंगे.अगर बच्चे का स्वभाव अड़ियल,चिड़चिड़ा,और झगड़ालू है तो उसके ज़िम्मेदार उसके माता पिता ही होते हैं.बच्चे झगड़ालू क्यों होते हैं? प्रस्तुत हैं कुछ कारक-

१-जो माताएँ,गर्भावस्था में अपने,खान पान और आचार विचार पर नियंत्रण नहीं रखतीं,अर्थात चटपटे,कड़वे,खट्टे और गरिष्ठ ,तामसी वस्तुएँ खाती पीतीं हैं उनके बच्चे बहुधा क्रोधी,चिड़चिड़े और झगड़ालू होते हैं.

२-यदि आपकी आदत हर बात में नुक्ताचीनी करने की है और आप,बात बात पर पारिवारिक सदस्यों ,या पड़ोसियों से उलझ जाते हैं तो आपका बच्चा भी झगड़ालू क़िस्म का होगा.बहुत से पेरेंट्स एक बच्चे से दूसरे बच्चे को पिटवाते हैं,जिससे वो मार पीट का आदी हो जाता है,और उसकी झगड़ालू प्रवत्तियों को उत्साह मिलता है.

३-ज़्यादातर पेरेंट्स यह सोचकर अपने फ़ैसले ,बच्चों पर थोप देते हैं कि उनका लिया हुआ हर फ़ैसला सही होता है,और भूल जाते हैं कि,कोई भी इंसान सम्पूर्ण नहीं है,यदि आपमें अपनी ग़लती स्वीकार करने की क्षमता नहीं है तो बच्चे भी अपनी ग़ल्ती कभी नहीं मानेंगे.

४-बहुत से पेरेंट्स बच्चे की झगड़ा करने की शिकायत आने पर ध्यान नहीं देते या उस समय तो बच्चे को डाँट देते हैं लेकिन बाद में अपने बच्चे को पुचकार देते हैं,जिससे बच्चे के मन से डाँट का डर निकल जाता है.

ज़िद्दी और झगड़ालू बच्चों के साथ निबटना बहुत मुश्किल होता है फिर भी कुछ तकनीकें हैं जो आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकती हैं-

-१-सबसे पहले बच्चों के सामने झगड़ा न करें

२-यदि एक ग़ुस्से में हो तो दूसरे पार्ट्नर को चुप रहना चाहिए जिससे झगड़ा ज़्यादा देर तक न खिंचे

३-पति पत्नी एक दूसरे को सम्मान दें

४- छोटे छोटे विवादों को तूल न दें

५- बच्चे के साथ दोस्ताना व्यवहार रखें

६-बच्चे के साथ हमदर्दी जताएँ

७-बच्चे के कामों की खुलकर प्रशंसा करें.

८-बच्चे के एनर्जी लेवल और रुचि को समझें.अपने शौंक़ और इच्छाएँ उस पर  न थोपें.अगर वो रिज़र्व नेचर का है तो उसे इंडोर गेम्स की तरफ़ लगाएँ ताकि वो ,अपनी एनर्जी को वेस्ट करने के बजाय मानसिक विकास की ओर बढ़े.

९- योग करवाएँ.योग मन को शांत रखता है,अगर आपका बच्चा बेहद उग्र स्वभाव का है तो उसको योग करवाएँ

भाई बहन के झगड़े कैसे सुलझाएँ-

१-झगड़ालू बच्चे दबंग स्वभाव के होते हैं और अपनी बात मनवाने में माहिर.आपको अपने बच्चे को प्यार से समझाना होगा.सुनिश्चित करें कि वो आपके आदेश का पालन करे.यदि वो प्राथमिकता के लिए लड़ रहा है तो इससे बाद में क़ई संघर्ष हो सकते हैं .सो आप उसे सिखाएँ,प्राथमिकता के लिए लड़ना ठीक है लेकिन ,कभी कभी दूसरों को भी रास्ता देना पड़ता है.

२- डाँट या जनक कार्ड का उपयोग एक अंतिम उपाय के रूप में करें.उदाहरणत:यदि आपका दूसरा बच्चा,वापस आने और अध्ययन करने ,या कोई खेल खेलने का इच्छुक नहीं हैं तो उसे अपने हाव भाव से स्पष्ट कर दें क़ि कुछ क्षेत्रों में आप समझौता नहीं करेंगे

३-टीवी के कई प्रोग्राम बच्चों को हिंसक बनाते हैं.अपने बच्चे को हिंसा से दूर रखने के लिए आप ,उसके टीबी देखने पर अंकुश लगाएँ

४-बच्चे की माँगों पर गम्भीरतापूर्वक विचार करें,जो माँगें अनुशासन के सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं वे अनुचित होती हैं और इन माँगों को स्वीकार करके आप अपने दूसरे बच्चों के साथ अन्याय करेंगे

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टीन एजर्स और फ्रीडम