Parenting Tips: बहुत बार हम बच्चों को बुलाते है पर आगे से न तो कोई जवाब मिलता है और न ही वे खुद उठकर आते है। चाहे वो हमसे कुछ ही कदमों की दूरी पर बैठे हैं, मगर बातों को सुनकर भी अनुसना कर देते हैं। ऐसे हालात में बहुत से माता-पिता अपना आपा खो देते हैं और बच्चों को खूब डांट और फटकार लगाते हैं। कई बार तो हाथ भी उठा देते है। इस सिचुएशन में आपका बच्चा आपके विरुद्ध होने लगता है। वो धीरे-धीरे मानसिक तौर पर आपको अपना दुश्मन मानने लगता है। क्योंकि उसको लग रहा है कि आप उसकी भावनाओं को नहीं समझ पा रहे और आप इसलिए डांट रहे हैं, ताकि वो अगली बार से आपकी बात सुने। जहां एक तरफ बच्चे का व्यवहार गलत है, तो वहीं आप भी एक दूसरी गलती को अंजाम दे रहे हैं। पहले ये समझे कि बच्चा बात क्यों नहीं सुन रहा है और उसके बाद इन टिप्स के जरिए आप बच्चों को अपनी बात समझाएं।
हर वक्त बच्चे के प्रति कठोरता न अपनाएं
आपका कठोर व्यवहार कहीं न कहीं आपके और बच्चे के मध्य एक दूरी बनाने का काम करता है। आप चाहते हैं कि बच्चा आपकी बात माने, तो पहले उससे प्रेम के मीठे बोल बोलें और उसे अपनी बात को प्यार से समझाने का प्रयास करें। इसमें कोई दोराय नहीं कि माता-पिता बच्चे के शुभचिंतक है और उनसे ज्यादा बच्चे का ध्यान और कोई नहीं रखता। मगर फिर भी आप अपने कठोर रैवये को बदलें और बच्चे को प्यार से पुकारें और अपने करीब लेकर आएं। ताकि अपने मन की दुविधा वो खुलकर बता पाने में संकोच न करे अन्यथा बच्चा आपके पास आने से कतराएगा।
नकारात्मक शब्दावली का इस्तेमाल न करें
हर समय स्टॉप, डोंट डू ईट, मत करो जैसे शब्द बच्चे को मानसिक तौर पर कमजोर और चिड़चिड़ा बना देते हैं। अगर आपका व्यवहार भी बच्चों के साथ ऐसा ही है तो इसे तुरंत बदलें इससे बच्चे में आत्मविश्वास गिरने लगता है और बच्चा हर वक्त डरा, सहमा महसूस करता है। वो हर काम को करने से पहले डर का अनुभव करने लगेगा और अगर आप उसे पुकारोगे, तब भी उसे यही लगेगा कि मैंने कुछ गलत तो नहीं कर दिया। ऐसे हालात में वो आपके पास आने से भी कतराएगा। तो इसके लिए सही शब्दों का चयन करें, उसे मोटिवेट करें और आगे बढ़ने में मदद करें। यू कैन डू इट का इस्तेमाल करें और उसकी तुलना दूसरों से करने से बचें।

बच्चों को प्रोत्साहित करें
बच्चों को हर वक्त डांटने की बजाय आप उनकी तारीफ करें और उनके गुणों को समझें। मानें या न मानें बच्चे हमें हर रोज कुछ नया सिखाते हैं और हमारी मदद भी करते हैं। इसके बदले में उन्हें धन्यवाद जरूर कहें ताकि वे यूं ही आपकी हर काम में मदद करते रहे। इसके अलावा उन्हें मानसिक तौर पर मजबूत बनाएं और उन्हें खुद पर विश्वास करना सिखाएं जिससे वे मुश्किलों से न डरें और आपसे आपनी हर बात शेयर करें। अगर आप वास्तविक तौर पर उनके पथ प्रदर्शक बनते हैं, तो यकीनन वे जिंदगी में ऊंचा मकाम हासिल करने में कामयाब होंगे। चाहे बच्चा गलत है या सही। उसको कार्यों के जरिए अपनी गलती का एहसास कराएं और बच्चों को हर वक्त प्रोत्साहित करें।
रोजाना बच्चों से कुछ देर बात करें
बच्चों से बातचीत करने के ढ़ेर सारे फायदे हैं। बच्चे मन के सच्चे होते हैं और वो आपसे अपने मन की हर बात करते हैं। अगर आप उन्हें सुनने से पहले ही डांटना या मारना शुरू कर देंगे, तो बच्चे सहम जाएंगे और वो कोई भी बात बताने से कतराएंगें। उनसे बात करें और पढ़ाई-लिखाई से लेकर दोस्तों के साथ हुई मौज मस्ती के किस्से भी ज़रूर सुनें, ताकि उसे आप में अपना दोस्त नज़र आने लगे। ऐसे में बच्चे पेरेंट्स को नजरअंदाज नहीं करते हैं और माता-पिता की हर बात को भी मानते हैं।