एडवांस फी/ प्रोसेसिंग फी/ टोकन फी : इसका अर्थ है कि ऐसे सभी शुरुआती भुगतान, जो डॉक्यूमेंट प्रतिपूर्ति, मीटिंग खर्च, लागू की जाने वाली प्रोसेसिंग फीस और अन्य लागू शुल्क तक सीमित नहीं होंगे जो उद्धारकर्ता को लोन के वितरण के लिए लगाए जा सकते हैं।

टू- फैक्टर प्रामाणिकता : टू- फैक्टर प्रामाणिकता को 2एफए के नाम से भी जाना जाता है। ये दो डिफरेंट घटकों के कॉम्बिनेशन के जरिए यूजर्स की पहचान प्रदान करते हैं। मान्य करने के लिए, आपके पास क्या है- कार्ड (नंबर, एक्स्पायरी तारीख और सीवीवी जो कार्ड पर प्रिन्ट रहता है), आप क्या जानते हैं- पिन (या तो स्टैटिक यानी स्थिर या एक बार जेनरेट किया गया)।  

3डी सिक्योर : 3डी सिक्योर एक एक्सएमएल आधारित प्रोटोकॉल है, जिसे ऑनलाइन क्रेडिट और डेबिट कार्ड ट्रान्जैक्शन के लिए अतिरिक्त सिक्योरिटी लेयर के तौर पर डिजाइन किया गया है। इसे वीजा द्वारा सत्यापित, मास्टरकार्ड सिक्योर कोड और अमेरिकन एक्सप्रेस सेफकी के तौर पर भी जाना जाता है।   

अधिग्रहण बैंक : वहबैंक  है, जो क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड को प्रोसेस करता है। अधिग्रहण करने वाला बैंक आम तौर पर वीजा, मास्टरकार्ड और रुपे जैसे की कार्ड स्कीम को सपोर्ट करता है।

प्राधिकरण : कार्ड जारी करने वाले बैंक से लेकर मर्चन्ट के ट्रान्जैक्शन प्राधिकरण अनुरोध पर रिस्पॉन्स दिखाता है कि भुगतान जानकारी मान्य है और ग्राहक के क्रेडिट कार्ड पर फंड उपलब्ध हैं।

बैंक आइडेंटिफिकेशन नंबर (बीआईएन) : अपने सभी सदस्य वित्तीय संस्थानों, बैंक और प्रोसेसर को वीजा और मास्टरकार्ड द्वारा निर्दिष्ट किया गया ऐसा पहचान नंबर।

बीआईएन सत्यापन : हिस्सा लेने वाले बीआईएन सूची के खिलाफ कार्ड के बीआईएन की जांच करने की प्रक्रिया।

ब्लैकलिस्टिंग : धोखाधड़ी को रोकने के लिए धोखेबाज खरीदारों या ज्यादा जोखिम वाले व्यापारियों का पता लगाने के लिए जानकारी इकट्ठा करने का काम।

कार्ड कैप्चर पेज

वह सुरक्षित पेज, जिस पेज पर कार्ड डीटेल कैप्चर किये गए हैं। जिन निकायों के पास पीसीआई डीएसएस सर्टिफिकेशन है, उन्हें कार्ड डीटेल को कैप्चर करने की अनुमति है। कार्ड कैप्चर पेज जिन निकायों के पास हैं, उनका उदाहरण :

अधिग्रहण बैंक (उदाहरण- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी)

एग्रीगेटर (उदाहरण – पेयू)

व्यापारी (उदाहरण – फ्लिपकार्ट, एमेजॉन)

कार्ड नंबर

किसी क्रेडिट कार्ड एसोसिएशन या कार्ड जारी करने वाले बैंक द्वारा कार्ड होल्डर को  दिया गया अकाउंट नंबर। क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने के लिए यह जानकारी किसी ग्राहक द्वारा व्यापारी को अवश्य प्रदान की जानी चाहिए।

कार्ड के ऊपर प्रिन्ट किये गए डिजिट के स्ट्रिंग (ये डिजिट बैंड आइडेंटिफिकेशन नंबर, केटेगरी, मुद्रा आदि को दर्शाते हैं)।

वीजा, मास्टरकार्ड, रुपे : 16 डिजिट

एमेक्स : 15 डिजिट  

कार्ड प्रेजेंट (सीपी) : ट्रान्जैक्शन के, कार्ड होल्डर या कार्ड का बिक्री की जगह पर होना। उदाहरण : ग्रोसरी स्टोर पर कार्ड स्वाइप। अमूमन सीपी के मामलों में टीडीआर/ एमडीआर कार्ड नॉट प्रेजेंट (सीएनपी) मामलों से कम होते हैं क्योंकि सीपी ट्रान्जैक्शन में जोखिम कम होता है (दर को जोखिम के लिए एडजस्ट किया जाता है)।

कार्ड वॉल्टिंग : कार्ड के विवरण (कार्ड नंबर और सीवीवी) को स्टोर करने की प्रक्रिया और बाद के ट्रान्जैक्शन के दौरान स्टोर किये कार्ड के विवरण को दिखाने को पीसीआई डीएसएस प्रामाणित निकाय (बैंक, एग्री गेटर या व्यापरी का अधिग्रहण) द्वारा स्टोर किया जा सकता है।

क्लोज्ड- लूप प्रीपेड कार्ड/ वॉलेट : कार्ड/ वॉलेट जिनका इस्तेमाल सिर्फ एक व्यापारी और फंड के लिए किया जा सके, उसे सोर्स अकाउंट या एटीएम के जरिए निकाला नहीं जा सकता है।

को- ब्रांडेड कार्ड : वे कार्ड, जो कार्ड स्कीम के साथ किसी वित्तीय संस्थान द्वारा जारी किये जाते हैं और उनकी कॉर्पोरेट ब्रांडिंग होती है।

कलेक्शन अकाउंट : व्यापारी का बैंक अकाउंट, जिसमें भुगतान गेटवे की राशि जमा कराई जाती है। कलेक्शन अकाउंट करंट अकाउंट, नोडल अकाउंट या एस्क्रो अकाउंट भी हो सकता है।

क्रेडिट कार्ड : वह कार्ड, जो किसी वित्तीय संस्थान से धन राशि उधार लेकर प्रोडक्टस या सेवाओं के लिए भुगतान की अनुमति देता है।

चार्जबैक

क्रेडिट कार्ड होल्डर द्वारा जारीकर्ता बैंक के साथ उठाया गया विवाद।

चार्जबैक होने के कई कारण हो सकते हैं :

सेवा/ प्रोडक्ट का डिलीवर न होना

कैन्सलेशन रिफंड का जारी न होना

संदिग्ध धोखाधड़ी ट्रान्जैक्शन

कार्ड हैक किया जा रहा है

ऐसे परिस्थितियों में, जारीकर्ता बैंक अधिग्रहणकर्ता बैंक को चार्जबैक भेजेगा और डिलीवरी को सपोर्ट करने के लिए सबूत प्रदान करने के लिए अधिग्रहण करने वाला बैंक सीधे व्यापारी तक (यदि अधिग्रहण करने वाले बैंक का व्यापारी के साथ सीधा इंटीग्रेशन है) या एग्रीगेटर के जरिए (यदि ट्रान्जैक्शन एग्रीगेटर के जरिए प्रोसेस हुआ है) पहुंचेगा। या निर्धारित समय के अंदर रिफंड करने के लिए वरना चार्जबैक को मान्य माना जाएगा और व्यापारी चार्जबैक राशि को वापस करने के लिए बाध्य होगा।

क्रेडिट लिमिट : क्रेडिट लिमिट का अर्थ उस मैक्सिमम धन राशि से है, जो एक वित्तीय संस्थान किसी ग्राहक को देता है। उधार देने वाला एक संस्थान क्रेडिट कार्ड या क्रेडिट की एक लाइन पर क्रेडिट सीमा को बढ़ाता है। लोन देने वाले अमूमन क्रेडिट की चाह रखने वाले आवेदक द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर क्रेडिट की सीमा को तय करते हैं। क्रेडिट लिमिट एक ऐसा कारक है, उपभोक्ताओं के क्रेडिट स्कोर को प्रभावित करता है और भविष्य में क्रेडिट पाने की उनकी क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

सीवीवी : इसका मतलब कार्ड वेरीफिकेशन वैल्यू से है। यह नंबर ऑनलाइन ट्रान्जैक्शन को पूरा करने के लिए जरूरी है और इसे काभी भी किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहिए।

डेबिट कार्ड : यह कार्ड खरीदारी करने के लिए बैंक अकाउंट में उपलब्ध धन राशि की ऑटोमैटिक कटौती के जरिए काम करता है।

डिक्लाइन पेमेंट : वे ट्रान्जैक्शन जो कार्ड जारी करने वाले बैंक द्वारा स्वीकृत नहीं किये जाते हैं, उन्हें डिक्लाइन पेमेंट यानी अस्वीकृत भुगतान के तौर पर चिन्हित कर दिया जाता है। अस्वीकृत भुगतान के लिए आगे कोई भी कार्रवाई नहीं की जा सकती है और ग्राहक को भुगतान करने के लिए फिर से कोशिश करनी पड़ती है।

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