कविता कॉन्टेस्ट-

हमारी प्यारी गृहलक्ष्मी

आओ बच्चों मैं तुम्हें सुनाऊं
कहानी गृहलक्ष्मी की
मम्मी को यह खूब है भाती
सबके मन पर छा जाती
तरह-तरह के व्यंग्य है इसमें
तरह-तरह के रंग हैं इसमें
जो सबका मन बहलाते हैं
सोनी सम्पत भी तो
मेरे मन को भाते हैं
तरह-तरह के व्यंजन मां
इसमें देख बनाती है
और सबकी चेहती बन
जाती है ,कहानी कविता और
मनोरंजन द्वारा सबके मन को
बहलाती है
देश-विदेश की रंगीन खबरें
ज्ञानवर्धक बन जाती हैं
ऐसी है हमारी प्यारी गृहलक्ष्मी
हमारी प्यारी गृहलक्ष्मी
सबकी प्यारी गृहलक्ष्मी

नाम : उत्कर्ष गर्ग उम्र : 6 वर्ष बठिंडा (पंजाब)

मेरा भारत

मेरा प्यारा भारत देश
दुनिया को देता संदेश
बेशक रूप-रंग अनेक
रहन-सहन के ढंग अनेक
फिर भी सारे मानव एक।
मेरा प्यारा भारत देश
खून है जब सबका ही लाल
तब भी क्या कहीं बचा
सवाल?
लेकिन अब कौन बिछाता है
नित जाल?
देख देख दिल हुआ बेहाल
भाई-भाई बैरी हुआ
अच्छी चली दुश्मन ने चाल।
खबरदार ओ हिन्द के दुश्मन
जागरूक भारत के बच्चों ने
कर ली है अब सम्भाल
अब न गलेगी तेरी दाल।

नाम : सारंगदीप सिंह उम्र : 8 वर्ष चंडीगढ़

नानी जी

नानी जी, मेरी यारी नानी जी,
याद तुम्हारी आती जी,
तुम हो कितनी भोली-भाली
तुम ही हो गंगा, तुम्हीं हो अम्बर
बड़ा होकर भी मैं तुम्हें न छोडूंगा
तुमने मुझे जो पहले सिखाया
वह वचन मैं निभाऊंगा।

नाम : स्पर्श कक्षा तीन