Aja Ekadashi: हिन्दू शास्त्रों में एकादशी का बहुत अधिक महत्त्व है। प्रत्येक माह में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष को अजा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन व्रत करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है, ऐसे में इस एकादशी का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है। मान्यता ये भी है कि अजा एकादशी के दिन व्रत करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल मिलता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। आइए जानते हैं अजा एकदशी की पूजा का शुभ मुहूर्त और पारण समय-
पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, अजा एकादशी के लिए भाद्रपद कृष्ण तिथि की शुरुआत 9 सितंबर (शनिवार) शाम को 7 बजकर 17 मिनट पर शुरू होकर, 10 सितंबर (रविवार) 9 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। ऐसे में अजा एकादशी का व्रत उदय तिथि 10 सितंबर को रखा जाएगा। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त की शुरुआत 10 सितंबर को 7 बजकर 37 मिनट से शुरू होगा, जो दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस समय के बीच में व्रती पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
पारण का समय
एकादशी के व्रत में पारण अगले दिन किया जाता है। 10 सितंबर को अजा एकादशी का व्रत और 11 सितंबर को सूर्योदय के साथ पारण होगा। पारण सुबह 6 बजकर 4 मिनट पर शुरू होकर और 8 बजकर 33 मिनट के बीच किया जा सकता है।
अजा एकादशी की पूजा विधि

- अजा एकादशी का व्रत शुरू करने से पहले घर की अच्छे से साफ-सफाई करें।
- नित्यकर्म के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें।
- आचमन संपन्न करने के बाद पीले वस्त्रों को धारण करें।
- अब उगते सूर्य को जल चढ़ाएं।
- अब पूजा के लिए एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा स्थापित करें।
- दीपक जलाकर लक्ष्मी नारायण को फल और फूल अर्पित करें।
- अब विष्णु चालीसा का पाठ और मन्त्रों का जाप करें।
- पूजा के अंत में आरती करके पारिवारिक सुख की कामना करें और उपवास रखें।
- शाम को आरती के बाद फलाहार ग्रहण करें और अगले दिन पूजा-पाठ के बाद व्रत खोलें।