दोस्तों कुछ खट्टी कुछ मीठी कॉलम में इस बार आप सभी को टॉफियों की दुनिया में लेकर चल रही हूं। याद कीजिए वो मासूम बचपन जब हमें छोटी-छोटी टॉफियां कितनी पसंद आया करती थीं। थोड़े से पैसे में मुंह मीठा हो जाता था और फ्लेवर्ड भी। लोग टॉफी का लालच देते थे और हम भी बड़े खुश होकर लपककर पहुंच जाते थे टॉफी देने वाले के पास।
पहले की टॉफियों की बात करूं तो लेमन जूस का नाम और टेस्ट जुबां पर फेविकोल की तरह चिपक गया है। यूपी में इसे लोकल भाषा में कंपट के नाम से पुकारते हैं। संतरे के जायके से शुरू हुई इस टॉफी में बाद में अलग-अलग रंग और फ्लेवर भी आए। बदलते दौर में भी इसकी अहमियत कम नहीं हुई है। शायद यही वजह है कि मॉल के अंदर स्पेशल काउंटर्स पर आपको लेमनचूस की ढेरों वैराइटी कैंडी के नाम से बिक रही हैं।
टॉफी की एक और वैराइटी है लॉलीपॉप। बच्चों की हरदम फेवरेट रहने वाली ये टॉफी बच्चों को चूसने में काफी मजेदार लगती है इससे हाथ गंदे होने का झंझट भी नहीं। टॉफी-कैंडी के और भी लाजवाब जायके जैसे पान पंसद, किसमी, कोला, मैलोडी, कॉफी बाइट, मैंगो बाइट और स्वाद के स्वाद को कैसे भूल सकते हैं। टॉफियों में फ्लेवर में खूब एक्सपेरिमेंट किए गए हैं। किसी का मीठा जायका और उसकी सॉफ्टनेस को भुलाया नहीं जा सकता तो वहीं पान की खुशबू पान पसंद में जुबां पर छा गई। कोला का टेस्ट इन सबसे हटकर था। तो दूसरी तरफ मैलोडी रही चॉकलेटी। इसी तरह कॉफी के जायके के लिए कॉफी बाइट मशहूर रही तो वहीं हल्के खट्टे और मीठे आम की खुशबू मैंगो बाइट में जैसी मिलती है वैसी किसी और में नहीं।
टॉफी के जायके में फ्लेवर्स का दौर आगे बढ़ा तो एक ही पैकेट में ढेर सारे फ्लेवर लेकर आया पॉपिंस। याद आया ना। जी हां, वही पॉपिंस जिसे लेकर अक्सर दोस्तों में झगड़ा तब शुरू हो जाता था तब जब किसी एक को उसका मनपसंदीदा फ्लेवर ना मिला हो। पाइन एपल, ऑरेंज, कोला, लेमन और ना जाने कितने फ्लेवर एक शानदार पैकेट के अंदर एक साथ मिल जाया करते थे। जेम्स, टॉफी का एक और नाम जिसकी बॉन्डिंग भी जबरदस्त रही। रंग-बिरंगी फ्लेवर्ड चॉकलेट की ये गोलियां जितनी खूबसूरत दिखतीं उतना ही मजेदार था इसके अंदर का जायका। ये वो टॉफियां हैं जो बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी दीवाना बना चुकी हैं। आज भी ये सारी पुरानी टेस्टी टॉफियां पहाड़ों पर सफर के दौरान बहुत काम आती हैं। यही नहीं, बर्थ-डे पर तो ये टॉफियां न सिर्फ गिफ्ट में दी जाती थीं बल्कि गुब्बारे में भरकर जब उसे फोड़ा जाता तो उसे झपटने के लिए सारी ताकत झोंक दी जाती थी। ऐसा नहीं है कि ये सब टॉफियां अब गुम हैं,
आज भी इनमें कई टॉफियां बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन नए दौर के फ्लेवर के आगे इनका टिकना थोड़ा चुनौतीपूर्ण जरूर हो गया है। बदलते दौर में टॉफियां स्टाइलिश नामों और बेहतरीन पैकेजिंग वाली हो गई हैं। जायके की बात की जाए तो मुझे लगता है कि कंपनियां पैकेजिंग पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देती हैं जो बच्चों को अट्रेक्ट कर सकें। स्वाद में भी ढेर सारे एक्सपेरिमेंट्स किए गए हैं।
इसके अलावा कुछ ऐसी टॉफियां भी हैं जो अलग थीं जैसे विक्स, हाजमोला कैंडी, एलपेन लीबे, मिंटोस और एक्लेयर्स ने अपने-अपने फ्लेवर से सभी का दिल जीत लिया है। विक्स में पहले साधारण जायका गले को ठंडक देता था लेकिन धीरे-धीरे जिंजर, हनी की मिठास भी इनमें घोल दी गई। हाजमोला कैंडी ने इमली का टेस्ट देकर अपनी तरफ ध्यान आकर्षित किया। एलपेन लीबे के भी अलग-अलग जायके मार्केट में आए। तो वहीं मिंटोस ने अपने डिफरेंट टेस्ट से सबके दिमाग की बत्ती जला दी।
कैंडी ड्रॉप्स, पल्स कैंडी, कैंडी स्टिक्स, कैरेमल, चॉकलेट फिल्ड हार्ट कैंडी, डिफरेंट जैली कैडी बाजार में मजबूत पकड़ बना चुकी है। तो ये है टॉफियों की वो दुनिया जहां प्यार है, मिठास है, शरारतें हैं तो वही है एक ऐसा रिश्ता है जो लंबे वक्त से अपनों को करीब लाने और बच्चों को मनाने में अपनाया जाता रहा है। उम्मीद है इस टॉफी या कैंडी की दुनिया में आपको भी अपना बचपन और वो एवरग्रीन टॉफियां याद आ गई होंगी।
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