बात उन दिनों की है जब मैं ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ा करती थी। हमें अपने सीनियर्स को फेयरवेल देना था। फेयरवेल के कार्यक्रम में लगभग सभी लड़कियों को डांस, नाटक, गाना जैसी विविध एक्टिविटी में हिस्सा लेना था। जो लड़कियां कहीं भी सलेक्ट नहीं हुई, उन्हें पानी-नाश्ता आदि सर्व करने का काम दिया गया था। मेरा भी किसी एक्टिविटी में चयन नहीं हुआ तो मुझे वेटर का काम करना था, जो कि मुझे बिल्कुल मंजूर नहीं था। मेरे दिमाग में एक आइडिया आया, मेरे गाने वाले सर थोड़े बुजुर्ग से थे। मैंने उनके सामने रोनी सी सूरत बनाकर उन्हें गाने वाली टीम में मुझे भी रखने के लिए जैसे-तैसे मना लिया। पर जब भी प्रेक्टिस होती, बाकी ग्रुप के सुर कहीं और मेरे सुर कहीं और ही जाते थे। फेयरवेल का दिन नजदीक आ गया था। वाइस प्रिंसिपल होने वाली गतिविधियों का मुआयना करने के लिए राउंड पर थी, जब उन्होंने हमारे गाने की रिहर्सल को सुना तो वे मेरे पास आईं और बोली, ‘अंतरा, ये चॉकलेट खाओ और एक काम करना, जब स्टेज पर परफॉर्म करना तो गाने के बजाए प्लीज बस लिप्सिंग ही करना। गाना गाने की तकलीफ बिल्कुल मत करना। उनकी बात सुनकर मैं शर्म से लाल हो गई और सभी लोग मुझ पर हंसने लगे।
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