14 दमदार शॉर्ट मूवीज आपके मूड को भी सही करेंगीं।
Short Movies: अक्सर जब कभी हिंदी सिनेमा की बात आती है तो लोगों का ध्यान बॉलीवुड की मसाला फिल्मों की ओर जाता है । एंटरटेनमेंट के नाम पे बनने वाली मसाला मूवी को सौ करोड़ की क्लब के आधार आंकलन किया जाता है। जबकि उससे भी बेहतरीन स्टोरी के साथ बनने वाली शार्ट मूवीज लोगों का ध्यान अपनी ओर नहीं खींच पाती है। न इसकी कही चर्चा होती है । एक वर्ग जो शॉर्ट मूवी को देखना पसंद करता है या जो इस तरह की मूवीज से वाकिफ होता है ,ये वहां तक ही सीमित रह जाती है ।वजह है कि इन सिनेमा का कोई प्रचार -प्रसार नही होता। आज हम आपको ऐसी ही 14 बेहतरीन शॉर्ट मूवीज के बारे में बताएंगे । जो हर तरह से उम्दा है। कलाकारों के परफॉर्मंस की बात हो या कहानी हो दोनो ही छाप छोड़ते है। ये शॉर्ट मूवीज भले ही 100 ,200,300 करोड़ के क्लब में शामिल न हो लेकिन यकनिन यह आज के दौर की उम्दा कहानियों को प्रस्तुत करती हैं।तो आइए जाने ये 14 शॉर्ट मूवीज कौन सी है?
अगर आपके पास सिनेमा हॉल में जाकर मूवी देखने का समय नहीं,या फिर आप लंबे समय तक घर में बैठ कर मूवी नहीं देख सकते,घर की महिलाओं के पास कीचेन के काम से फुर्सत नहीं तो आप शॉर्ट मूवी देख सकती हैं। आपका मूड खराब हो,आप काम से छोटा ब्रेक चाहती हैं तो ये 14 दमदार शॉर्ट मूवीज आपके मूड को भी सही करेंगीं।बेहतरीन कॉन्टेंट के साथ आपको निश्चित ही एंटरटेन करेंगी।
ज्यूस –
शैफाली शाह के सशक्त अभिनय के साथ महिलाओं की कहानी को दर्शाती है ये फ़िल्म। जहाँ एक महिला किचन के काम मे फंसी रहती है और हसबैंड घर आये मेहमान के साथ एन्जॉय करता है। ये हर एक मध्यम परिवार की कहानी है। फ़िल्म के जरिये महिलाओं की वर्तमान स्थिति और उनके अधिकारों की बात की गई है। किस तरह एक महिला की जिंदगी किचन तक सीमित हो जाती है और वो बड़बड़ाने के अलावा कुछ कर नहीं पाती है | फ़िल्म में बिना किसी शॉकिंग डायलॉग,बिना शोर ,के सादगी के साथ प्रस्तुत किया गया है। सादगी से भरपूर होने के बावजूद एक पॉवरफूल शार्ट मूवी है

खुजली-
जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है कि ये एक फनी मूवी होगी। 2017 में सोनम नायर ने इस फ़िल्म को डायरेक्ट किया था। ये फ़िल्म पूरी तरह से ओल्ड एज कपल्स पर बेस्ड है। फ़िल्म में ओल्ड एज कपल किस तरह इस उम्र में सेक्स को री डिस्कवर करते हैं? सेक्स को नए सिरे से एक्प्लोर करते है। मॉर्डन तरीके से रोमांस को अपनी जिंदगी में लेकर आने के लिए तत्पर हैं। जैकी श्रॉफ और नीना गुप्ता जैसे बेहतरीन एक्टर के साथ बनी ये फ़िल्म ‘फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे’ से इंस्पार्ड है।

खीर –
अनूपम खेर अभिनीत इस फ़िल्म में दो पीढ़ियों की अलग सोच को दर्शाया गया है। अनुपम खेर अपने परिवार से अलग रहते है, वहाँ उनसे मिलने उनके नवासा और नवासी आते रहते हैं। अचानक दोनो बच्चे अपने नाना जी से मिलने आते हैं । वहां एक महिला जो कि अनुपम की दोस्त होती है,उसे घर के काम करते हुए पाते है। दोनों बच्चों को लगता है कि नाना उनकी नानी को रिप्लेस कर दूसरी महिला को वो जगह देना चाहते हैं। बच्चे अपने नाना ( अनुपम खेर) की महिला के साथ दोस्ती को समझ नहीं पाते हैं। फ़िल्म रिलेशनशिप पर आधारित है। अनुपम खेर अपनी नवासी को समझाने की कोशिश करते है,की वो उनके रिश्तों को गलत समझ रही है।
जय माता दी-
ये फ़िल्म मुख्य रूप से लिव इन रिलेशनशिप पर बनी है। युवा कपल बिना शादी के लिव इन में रहना चाहते हैं। जिसके लिए वो ब्रोकर से मिलते हैं। ब्रोकर उन्हें दस बातें सुनाता है। उन्हें अपनी फ़ैमिली से किसी को साथ लेकर आने के लिए कहता है। यहाँ तक कि उन्हें भाई बहन की तरह खुद को दुनिया के सामने दिखाने की सलाह देता है। फ़िल्म जहाँ एक तरफ आपको गुदगुदाएगी वहीं दूसरी तरफ समाज की रूढ़िवादी सोच से भी मिलाएगी। फ़िल्म में सुप्रिया पिलगांवकर भी हैं।

छुरी –
टिस्का चोपड़ा,अनुराग कश्यप और सुरविन चावला द्वारा अभिनित इस फ़िल्म में एक्स्ट्रा मेरेटल अफेयर को दिखाया गया है। एक पत्नी अपने पति के एक्ट्रा मेरेटल अफेयर को कैसे डील करती है? सब कुछ जानते हुए भी वो अपने सारे कर्तव्य को पूरा करती रहती है । वो अपने बच्चों के हक़ और उनके रूटीन को सेट रखने के लिए पति की गर्लफ़्रेंड से बात करती है। वो पति की गर्लफ़्रेंड से कहती है कि संडे का दिन मेरे बच्चों का हक़ है,क्योंकि संडे को बच्चे घर पर रहते हैं । तुम चाहो तो मेरे पति को मंडे या किसी और दिन अपने पास रख सकती हो। पति के अफेयर्स से थक चुकी टिस्का बिना किसी झगड़े ,बिना किसी झुंझलाहट के सुलझाने की कोशिश करती है।

नवाब-
नवाब एक डॉग और उसके मालिक के बीच के रिश्ते को दिखाती है। फ़िल्म में आपार शक्ति खुराना की एक्टिंग काबिले तारीफ़ है। फिल्म में डॉग का नाम ‘नवाब’ है। फ़िल्म में दिखाया गया है की अपार शक्ति खुराना का अपनी पत्नी से तलाक़ हो चुका है। ऐसे में डॉग हमेशा उसके साथ रहता है। जब पति पत्नी का आपस मे तलाक़ नहीं हुआ था तब भी नवाब साथ रहता था। तलाक़ के बाद आपारशक्ति खुराना ‘नवाब’ के साथ रहने के लिए शेल्टर ढूंढ रहा है। ऐसे में उनके सफ़र को दिखाया गया है ।

नेकेड–
ये फ़िल्म सायबर बुल्लिंग पर आधारित है। फ़िल्म में सोशल मीडिया पर लड़कियों के साथ होने वाली अभद्रता के बारे में है। फ़िल्म में कल्कि कोचलिन है जो की एक बिंदास जीवन जीने में विश्वाश रखती है। फ़िल्म में भी वो एक अभिनेत्री के किरदार में नजर आ रही हैं। फ़िल्म में दिखाया गया कि उनकी एक इंटिमेट वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है जिसके कारण उन्हें लोग भला बुरा बोल रहे है। वीडियो वायरल होने के बाद मीडिया भी उनके पीछे सवालों की बौछार लेकर खड़ी रहती है। कल्कि कोचलिन एक इंटरव्यू के जरिये ये कहती है कि किसी को कपड़ो के आधार पर जज करना गलत है। वो कहती हैं कि जब हम किसी से अपने बारे में सामने कुछ गलत नहीं सुन सकते तो सोशल मीडिया पर गलत क्यों सुने?किसी भी लड़की को इस तरह से सोशल मीडिया पर भद्दे कमेंट,गाली को इग्नोर करने के बजाए उसकी रिपोर्ट करनी चाहिए।

बुद्ध अवेकनिंग –
ये फ़िल्म मुख्य रूप महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार पर बेस्ड है। किस तरह से पितृसत्तात्मक सोच के ख़िलाफ़ महिलाएं खुद के लिए खड़ी होती हैं। अलग परिवेश, अलग परिवार की औरोतों की कहानी दिखाई गई है। किस तरह शहर में पढ़ी लिखी लड़की के साथ पति द्वारा प्रताड़ित किया जाता है? दूसरी तरफ गाँव की औरत पर भी अत्याचार किया जाता है। पुरुष प्रधान देश में महिलाओं तब तक ये अत्याचार होतें है जब तक कि वो ख़ुद एक चट्टान की तरह खड़ी न हो जाए।

देवी–
शॉर्ट फ़िल्म में देवी काफ़ी चर्चित फ़िल्म रही है। कॉजोल, नेहा धूपिया, श्रुती हसन,मुक्त बर्वे द्वारा अभिनित इस फ़िल्म में सेक्सुअल वॉयलेंस और रेप को दिखाया है। फ़िल्म में 9 महिलाओं के बीच उनके साथ हुए सेक्ससुल वॉयलेंस पर डीबेट को दिखाया गया है। 13 मिनट की इस फ़िल्म के जरिये काफ़ी कुछ कहा गया है।

देवी/ Short Movie Devi
अहिल्या –
एक बांग्ला भाषा में बनी शॉर्ट फ़िल्म है। सुजॉय गोश द्वारा बनाई गयी इस फ़िल्म को रामायण के एपिसोड से लिया गया है। रामायण की अहिल्या को मॉर्डन ट्विस्ट के साथ बखूबी प्रस्तुत किया। गया है। राधिका आप्टे ने अच्छा अभिनय किया है।

नटखट –
नटखट फ़िल्म में माँ- बेटे के बीच बात चीत को दिखाया गया है। माँ बेटे के रिश्ते पर बनी ये फ़िल्म महिला सशक्तिकरण के बारे में है। फ़िल्म में विद्या बालन अपने बेटे को जेंडर इक्वालिटी के बारे में सीख देती है। फ़िल्म में विद्या बालन अपने बेटे के सर पर तेल लगाते हुए उससे बात करती है जहाँ बातों ही बातों में बेटा कहता है कि आज मैंने नया खेल सीखा है की अगर किसी लड़की को तंग करना हो तो उसे कैसे तंग किया जाए?उसे जंगल मे छोड़ आना चाहिए। जैसे कि मेरे दोस्तों ने किया है। बेटे की सोच देखकर पता चलता है कि उसकी समझ के हिसाब से किसी लड़की को किसी लड़के को थप्पड़ मारने का हक़ नही हो सकता क्योंकि वो एक लड़की है। लड़का चाहे तो वो लड़की को किसी भी तरह से परेशान कर सकता है। ये विद्या बालन की पहली प्रोड्यूस की हुई फिल्म है।

खाने क्या है? :
ये फ़िल्म माँ- बेटी के रिश्तों पर आधारित है। जहाँ सेक्स के बारे में खुल कर बात करने को ग़लत समझा जाता है। ऐसे में फिल्म में में दिखाया गया है कि कैसे एक न्यूली मैरिड बेटी अपनी मां को हनीमून के किस्से बड़े ही मजाकिया ढंग से सुना रही है। सेक्स कन्वर्सेशन को खाना पकाने के स्टेप से रिलेट करते हुए बयां किया है। किचन में माँ- -बेटी के सेक्स टॉपिक पे रोचक तरीके से होती बात चीत पर किचन में काम करती हुई मेड कभी असहज होती है तो कभी माँ बेटी की बातें उसे मन ही मन गुदगुदाती हैं। फ़िल्म में आयशा रज़ा मिश्रा,शिखा तलसानिया हैं

घर की मुर्गी दाल बराबर-
ये फ़िल्म हर घर की महिलाओं की जिंदगी को दर्शाती है। साक्षी तंवर के दमदार अभिनय से सजी इस फ़िल्म में महिलाओं के त्याग को दिखाया है। उनके डेडिकेशन को दिखाया गया है। किस तरह एक औरत दिन भर घर का काम करती है। किचन से लेकर बच्चे को स्कूल छोड़ना, अपने हरेक रिश्ते का पूरा-पूरा ध्यान रखना। रात के 12 बजे तक किचन में काम करने वाली औरत से कोई दो पल मीठी बातें तक नहीं करता। उल्टा उसके काम, त्याग सभी को उसका फ़र्ज़ समझा जाता है। एक औरत से बड़ो से लेकर बच्चों तक को कई उम्मीदें होती हैं,लेकिन वो किसी से कुछ उम्मीद करने का हक़ नही रखती।मन को छू देने वाली फ़िल्म है घर की मुर्गी दाल बराबर। जहाँ महिलाएं कितना भी कर लें उनके काम की कभी सराहना नहीं की जाती है। उसकी कोई वैल्यू नहीं रह जाती है।

वाईट शर्ट –
सुमित अरोड़ा के डायरेक्शन में बनी ये शॉर्ट फिल्म हार्ट ब्रोकन लव स्टोरी पर आधारित है । फ़िल्म में कुणाल कपूर,कृतिका कमरा हैं। फ़िल्म में अविक (कुणाल कपूर) वाणी( कृतिका कमरा) को चीट करता है। फ़िल्म में ये मेसज दिया गया है कि अगर आप बैड रिलेशनशिप में हैं तो आपको उस रिश्ते को छोड़ निकलने का पूरा हक है। फ़िल्म में अविक अपने चीट के लिए वाणी से माफ़ी मांगता है और वाणी उसे माफ भी कर देती है। लेकिन वो उस रिश्ते को छोड़कर अपनी जिंदगी में आगे भी निकल जाती है।
