स्वाति कुमारी
उपवास की पूर्व रात्रि लहसुन और प्याज आदि का त्याग कर देना चाहिए और सात्विक भोजन करने के बाद ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद आप पूजा और व्रत का संकल्प लें। इसके लिए हाथ में जल, फल, कुश और गंध लें।
इसके बाद ”ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सवार्भीष्ट सिद्धये, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये” मंत्र का जाप करें।
फिर सुबह की पूजा के बाद आप माता देवकी के लिए 'सूतिकागृह' बनाएं। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर या प्रतिमा भी स्थापित करें।
आप रात्रि में पूजा के लिए तिल के पानी से दुबारा स्नान करें और बाल गोपाल का गाय के दूध और गंगाजल से अभिषेक करें।
फिर उन्हें आप मनमोहक पीला या लाल नया वस्त्र पहनाएं और भगवान के समक्ष पूजा की थाल सजा कर रख दें।
पूजा की थाली में आप धूप-दीप, नैवेद्य, पुष्प, अक्षत, चंदन, मोर और रोली जरूर रखें और इन्हीं पूजन सामग्री से प्रभु की पूजा करें।
इसके अलावा भगवान जब जन्म लें तो उन्हें पालना जरूर झुलाएं। प्रसाद में धनिया की पंजीरी और फल-मिठाई चढ़ाएं।
अंत में बाल श्रीकृष्ण की आरती करने के बाद प्रसाद का वितरण करें। जन्माष्टमी का व्रत आप फलाहार और जलाहार रख सकते हैं।
स्वाति कुमारी