स्वेता
सुरकंडा देवी मंदिर उत्तराखंड के टिहरी जिले में स्थित है। भगवती दुर्गा को समर्पित यह मंदिर सुरकुट पर्वत पर बना हुआ है , जिसकी ऊंचाई समुद्रतल से 3030 मीटर है।
यह माता दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक है। पुराणों के अनुसार टिहरी जिले के सुरकुट पर्वत पर मां सती का सर गिरा था जिस कारण इस मन्दिर का नाम सुरकंडा पड़ा।
यह मंदिर गढ़वाली और दक्षिण भारतीय वास्तुकला परंपराओं का अनूठा मिश्रण दर्शाता है। जटिल लकड़ी की नक्काशी और देवताओं की मूर्तियों दिव्य वैभव की भावना को दर्शाती हैं।
सुरकंडा देवी में अलग ही तरह का प्रसाद मिलता है। यहां प्रसाद के रूप में भक्तों को रौंसली की पत्तियां दी जाती हैं। यह औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं।
देवी के इस दरबार से बद्रीनाथ, केदारनाथ, तुंगनाथ, गौरीशंकर और नीलकंठ सहित कई पर्वत श्रृखलाएं दिखाई देती हैं। यह प्रकृति प्रेमियों के आदर्श स्थान है।
सर्दियों में कई मंदिर बंद रहते हैं, लेकिन सुरकंडा देवी मंदिर के कपाट पूरे वर्ष खुले रहते हैं, जिससे देवी के भक्त वर्ष के किसी भी समय देवी का आर्शीवाद लेने आ सकते हैं।
सुरकंडा देवी मंदिर भक्तों के लिए बहुत अध्यात्मिक महत्व रखता है। मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा करते हैं उसके सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
गंगा दशहरा और नवरात्र दो ऐसे पर्व हैं जब मां के दर्शनों का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है देवी के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
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