श्वेता
काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में स्थित सबसे पवित्र हिंदू मंदिरों में से एक है। यह भगवान शिव को समर्पित है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
ऐसी मान्यता है कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था, तब सूर्य की पहली किरण काशी की धरती पर पडी थी। तभी से काशी ज्ञान और आध्यात्म का केंद्र बन गई।
मंदिर में ज्योतिर्लिंग दो भागों में है। दाहिने भाग में माँ, शक्ति के रूप में विराजमान हैं और दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप में विराजमान है।
मंदिर में जब भगवान की मूर्तियों का श्रृंगार होता है तो उस समय सारी मूर्तियां पश्चिम मुखी होती हैं। इस ज्योतिर्लिंगों में शिव और शक्ति दोनों साथ ही विराजते हैं।
मंदिर के ऊपर एक सोने का छत्र है। अगर भक्त इस छत्र के दर्शन करने के बाद कोई भी कामना करते है तो उसकी वो मनोकामना पूरी हो जाती है।
औरंगजेब ने मंदिर को नष्ट कर वहां एक मस्जिद का निर्माण किया। जिसका नाम ज्ञानवापी मस्जिद है। इस मंदिर का पुनर्निर्माण रानी अहिल्या बाई होल्कर ने करवाया था।
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के दर्शन और गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजती है।
ऐसा माना जाता है कि कलियुग में जब पूरी दुनिया अपने अंत के करीब होगी, तब बाबा विश्वनाथ यानी भगवान शिव काशी की रक्षा करेंगे।
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