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आखिर मजार के सामने क्यों रूक जाती है जगन्नाथ यात्रा, जानें

Jagannath Yatra 2024

ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की हर साल भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है और इसके पीछे कई सारी कहानियां हैं।

कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को एक मजार के सामने भी रोका जाता है। आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे की कहानी -

कथा के अनुसार, जहांगीर के वक्त एक सुबेदार ने ब्राह्मण विधवा महिला से शादी कर ली थी और उसके एक पुत्र हुआ, जिसका नाम सालबेग था।

सालबेग बडा़ होकर मुगल सेना में भर्ती हो गया। एक बार उसके माथे पर चोट लगने के कारण बड़ा घाव हो गया।

कई हकीमों के इलाज के बाद भी उसका जख्म ठीक नहीं हुआ तब उसकी मां ने उसे भगवान जगन्नाथजी की भक्ति करने की सलाह दी।

एक बार सालबेग ने सपना देखा कि जगन्नाथजी खुद उससे मिलने आए हैं और उसे घाव पर लगाने के लिए भभूत  देते हैं।

सालबेग सपने में ही उस भभूत को अपने माथे पर लगा लेता है। जब सालबेग की नींद खुली तो उसके माथे का घाव ठीक हो चुका था।

अपने घावों को भरा हुआ देख सालबेग जगन्नाथजी के मंदिर की तरफ दौड़ता है, लेकिन मुस्लिम होने के कारण उसे मंदिर में प्रवेश नहीं मिलता।

ऐसे में वह मंदिर के बाहर बैठकर ही भगवान की भक्ति करने लगता है। प्रभु का नाम जपता है और उनके भजन लिखता है।

भगवान की भक्ति करते करते उनकी मृत्यु हो जाती है। लेकिन अपनी मृत्यु से पहले वह कहते हैं कि यदि मेरी भक्ति में सच्चाई है तो प्रभु मेरी मजार पर जरूर आएंगे।

सालबेग की मृत्यु के कुछ महीने बाद जब जगन्नाथजी की रथयात्रा निकली तो सालबेग की मजार के पास से रथ आगे ही नहीं बढ़ा।

तभी किसी ने राजा को सालबेग के बारे में बताया। तब राजा ने पुरोहितजी से मंत्रणा कर सभी से भक्त सालबेग की जयकार करने के लिए कहा।

सालबेग के जयकारे लगाने के बाद जब रथ को खींचा गया तो रथ चलने लगा। बस तभी से रथ सालबेग की मजार पर रोका जाता है।

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