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मेंढक और चूहे-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं उत्तर प्रदेश

मेंढक और चूहे आपस में नाता-रिश्ता लगाने के लिए राजी हो गए थे। बरसात के दिन थे और चूहे बिना काम के पड़े थे। वे मेंढकों के घरों में नाता-रिश्तेदारी करने चले गए। मेंढ़कों को तो खड़े होकर बात करने तक का वक्त न था। उन्होंने कहा कि वे अभी रिश्तेदारी नहीं कर सकते हैं। […]

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परसु परसा परसराम -21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हरियाणा

भारतीय समाज में ‘नामकरण’ का बहुत महत्व है और वैश्य समाज में नाम का रूप माया यानि लक्ष्मी या धन-पैसे के अनुरूप बदलता रहता है। तभी तो कहावत बनी- ‘माया तेरे तीन नाम परसु-परसा-परसराम’ यानि ज्यों-ज्यों आर्थिक स्थिति दृढ़ होती गई, परसु-परसा फिर सेठ परसराम कहलाया। एक दिन हुआ कुछ यूं कि दो देवियां, जो […]

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स्वामी चिन्मयानंद : मन और विचार

Chinmayananda Saraswati: आपको आश्चर्य होता होगा कि जब हमें केवल अपने आप में गहरे उतरना है और हमें अपनी आत्मा का ही ज्ञान प्राप्त करना है तो हम आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार आदि पर इतना अधिक बल क्यों देते हैं? वस्तुत: यह सब निरर्थक नहीं है। इसका एक तर्कसंगत कारण है। हम अपने प्रारम्भिक विवेचन में […]

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दिवाली पर घर खुशियां लाएं बीमारी नही

Bring home happiness on diwali not disease दिवाली त्योहार है मौज-मस्ती व खुशियां मनाने का लेकिन यह मस्ती कुछ लोगों के लिए स्वास्थ्य संबंधी गंभीर परेशानियां पैदा कर सकती हैं, इसलिए इस बार डॉक्टर्स एवं विशेषज्ञों की सलाह को ध्यान में रखते हुए ही दिवाली मनाएं। नोवा स्पेशिएलिटी सर्जरी, नई दिल्ली के वरिष्ठ सलाहकार (इंटरनल […]

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ईमानदारी-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां बिहार

“पापा आज आपकी भी छुट्टी है और मेरी भी। आज तो खाने पर बाहर चलना ही पडेगा।” गोल जिद पर अड गया। रमेश बाबू समझाने लगे-“अच्छे बच्चे जिद नहीं करते। बाहर का खाना खाने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है और तुम्हें तो बड़े होकर सैनिक बनना है न! तो सेहत का…।” आगे वे […]

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आधा-आधा स्वाह-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश

एक बार की बात है कि एक किसान के खेत में मनमोहिनी-सुन्दर कपास पैदा हुई। कपास को देखकर पुरोहित ने अपने यजमान किसान से कपास मांगी किन्तु किसान बिल्कुल मुकर गया। कुछ दिनों के उपरान्त अचानक किसान की बेटी की शादी लग गई। किसान ग्रह-लग्न देखने पुरोहित के पास गया। कपास के लिए पुरोहित के […]

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श्रीमती जी की नाराजगी – गृहलक्ष्मी कहानियां

समाज से बहिष्कृत लेखक नामक इस प्राणी को इस स्थान से अधिक सकून और कहां मिल सकता है। नैतिकता के बोझ तले दबा यह प्राणी एकांतवासी न हो तो और क्या हो?

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मुंशी प्रेमचंद की सवा सेर गेहूॅं- गृहलक्ष्मी कहानियां

क्या घर आए साधु को भोजन खिलाने की चाहत रखना शंकर की गलति थी या ये उसकी अज्ञानता थी जिसने उसके साथ असके परिवार का भी सर्वनाश कर दिया।

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सब्जी का ठेला – गृहलक्ष्मी की कहानियां

कहानी प्रतियोगिता-
प्रिय पाठको, गृहलक्ष्मी के शब्दों से भरे भावभीने संसार को आपने दिया प्यार और सम्मान। आभारी हैं हम और अब बारी है हमारी। तो लीजिए, गृहलक्ष्मी जुटा लाई है आपके लिए एक अवसर अपनी छिपी प्रतिभा
बाहर लाने का, एक प्रभावपूर्ण कहानी के जरिए। कहानी का विषय कुछ भी हो, बस हो दिल छू लेने वाला और शालीन। शब्द संख्या 1000-1200 से ज्यादा न हो। रचना वापसी के लिए टिकट लगा लिफाफा साथ रखना न भूलें। कृपया अपनी कहानी की फोटोकापी संभालकर रखें। कहानी पर विचार करने पर लगभग 3 महीने का समय लगता है, अत: कहानी भेजने के 3 महीने बाद ही संपर्क करें। अगर आपकी
कहानी पुरस्कृत हो गई हो तो कृपया दुबारा न भेजें। याद रखें, अधिक शब्द संख्या वाली कहानियां नहीं चुनी जाएंगी।कॉन्टेस्ट में भाग लें और जीतें आकर्षक उपहार।