यह किस्सा उस समय का है जब मैं कक्षा 8वीं का विद्यार्थी हुआ करता था, चूंकि उस समय आठवीं कक्षा बोर्ड हुआ करती थी तो पढ़ाई का दबाव भी अधिक होता था। सुबह 7 से 12.30 तक स्कूल, फिर घर पर ही कुछ देर आराम करके मम्मी के साथ पढ़ने बैठना पड़ता था। उस समय जीटीवी नया-नया शुरू हुआ था। सिनेमा जाने की अनुमति थी नहीं।
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