समाधान
सवाल यह है कि इन किशारों से कैसे पेश आएं? मान कि हर ताले की चाबी अलग होती है और सबकी परिवारिक पृष्ठभूमि, जीवनशैली व अंतः परस्पर संबंध भी अलग-अलग होते हैं लेकिन कुछ बातें तो सब पर लागू हो सकती हैं।
सबसे पहले बच्चे के साथ खुलकर बात करते हुए, उसे स्वस्थ आहार के लाभ गिनाएं। अगर खुद यह काम न कर सकें तो किसी डॉक्टर/डायटीशियन या व्यावसायिक ट्रेनर की मदद लें। बच्चे को सब कुछ बताने के बाद,आखिरी फैंसला खुद ही लेने दें आपने सिर्फ उसे स्वस्थ विकल्पों की जानकारी देनी है।
उसे व्यायाम की शुरूआत करने में मदद करें ताकि खुल कर भूख लग सके। हमेशा मांग व पूर्ति का चक्र बना रहेगा। तभी तो खेल-कूद से जुड़ी गतिविधियों को इतना महत्व दिया जाता है।
यह ध्यान दें कि उसे पौष्टिकता मिल रही है या नहीं, चाहे उसका रूप कोई भी क्यों न हो। मतलब बच्चा बर्गर चाहें तो, उसमें अनिवार्य पोषक तत्व शामिल कर दें।
शेक या जूस में पोषक तत्वों को बच्चे आसानी से पसंद कर लेते हैं। आज उसमें प्रोटीन सप्लीमेंट मिला दें या जूस में गाजर व आंवला मिला दें, डिंरक की पौष्टिकता झट से बढ़ जाएगी।
आराम से बैठक कर खाने की बजाएं उन्हें रैप सैंडविच ज्यादा पसंद आएगा, तो वही दें।
उसकी मानसिकता के साथ चलें। अगर वह वजन घटाना चाहता है तो वैसी डाइट तो अवश्य ले लेगा। अगर व मसल्स बनाना चाहता हैं तो उसे प्रोटीन युक्त डाइट भाएगी।
जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि बच्चे के साथ बैठ कर, खुले दिमाग से बात करने में ही, समस्या का समाधान छिपा है। इस मुश्किल के हल के लिए कोई शार्टकट नहीं होते। जरा आराम से, इत्मीनान की सॉस लें, यह सब ठीक हो जाएगा।