प्रतीक्षा भी दो प्रकार की होती है। एक है निराश मन से प्रतीक्षा करना और निराश होते ही जाना। दूसरी है प्रेम में प्रतीक्षा, जिसका हर क्षण उत्साह और उल्लास से भरा रहता है। ऐसी प्रतीक्षा अपने में ही एक उत्सव है, क्योंकि मिलन होते ही प्राप्ति का सुख समाप्त हो जाता है।
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बिना गुरु के रूपांतरण संभव नहीं – सद्गुरु
बिना गुरु के कोई आध्यात्मिक प्रक्रिया नहीं हो सकती। उसके बिना तुम स्वयं को रूपांतरित नहीं कर सकते। तुम अपने आप को एक ऐसी चीज में कैसे रूपांतरित कर सकते हो जिसे तुम नहीं जानते हो? तुम केवल उसी दिशा में काम कर सकते हो जिसे तुम जानते हो, है कि नहीं?
मानव की प्रकृति – परमहंस योगानंद
भौतिक शरीर सोलह तत्त्वों से बना है। ईश्वर ने जिस प्रकार भौतिक पदार्थों के रसायनिक तत्त्वों को बुद्धि प्रकट करने के लिए मिलाया है वह एक चमत्कार है। फिर भी, यह शरीर कुछ भी हो, परन्तु पिरपूर्ण नहीं है। हम इससे ज्यादा अच्छे शरीर की कल्पना कर सकते हैं।
ध्यान की आवश्यकता – स्वामी चिन्मयानंद
ध्यानाभ्यास में मन को समस्त इन्द्रिय विषयों से हटा लिया जाता है। मन पर अंकुश रखने वाली बुद्धि उसे आदेश देती है कि वह अपने समस्त विचारों को समाप्त कर केवल सर्वव्यापी चेतना के बारे में ही सोचे। कठिन साधना के उपरान्त मन एक समय पर एक ही विषय का चिन्तन करने योग्य बन जाता है।
संतों से सार्थक प्रश्न पूछो – मुनिश्री तरुणसागरजी
दुनिया में जितने भी धर्मग्रन्थ हैं, उनका जन्म प्रश्नों से हुआ है। बस शर्त केवल इतनी है कि वे प्रश्न जिन्दा होने चाहिए। जीवंत होने चाहिए। ‘किं नु खलु आत्मने हितं।Ó शिष्य ने गुरु से पूछा: प्रभो! आत्मा का हित किसमें हैं? इसके लिए उत्तर में गुरु ने जो कहा, वह एक ग्रन्थ बन गया।
कैसे मिलेगी पितृदोष से मुक्ति?
ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष को सबसे बड़ा दोष माना जाता है। पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति जीवन में काफी उतार चढ़ाव महसूस करता है। पितृ दोष आपके जीवन में बाधा न बने उसके लिए यह उपाय अपनाएं।
कामना पूर्ति करे दुर्गा सप्तशती का पाठ
नवग्रह की शांति में सबसे ज्यादा प्रभावशाली है मां दुर्गा के 13 अध्यायों का पाठ करना। आइए जानते हैं कि कैसे हर अध्याय हमारी चहुं ओर से रक्षा कर सकता है।
शक्ति उपासना का एक स्वरूप यह भी
स्त्री शक्ति के विभिन्न दैवीय स्वरूपों को हम सदियों से पूजते आ रहे हैं, विशेषकर नवरात्रों में। किंतु मां भगवती की आराधना सही अर्थों में तभी सफल होगी, जब हम समाज में स्त्री की शक्ति को समझें और उसे तिरस्कार की जगह मान-सम्मान दें।
संकट हरण है अनंत चतुर्दर्शी व्रत
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान अनंत की पूजा की जाती है। व्रत का संकल्प लेकर अनंत सूत्र बांधा जाता है। इस व्रत को करने से संकटों का नाश और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव की पूजा में न करें ये गलतियां, नहीं मिलेगा पूरा पुण्य
भगवान शिव की पूजा करते हुए परिणाम की इच्छा रखते हैं तो पूजा को भी सही तरीके से करें। गलतियों का ध्यान रखेंगी तो शिव जी का पूरा आशीर्वाद मिलेगा।