अक्षय तृतीया का महापर्व इस बार 18 अप्रैल को पड़ रहा है। ज्योतिष गणना के अनुसार लगभग 11 साल बाद इस वर्ष पूरे 24 घंटे का सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा जो 18 अप्रैल को सुबह 4 बजकर 47 मिनट से अगली सुबह 3 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। इस दिन मांगलिक कार्य, बहू का प्रथम बार चौका छूना, मुंडन, शादी विवाह, दुकान की ओपनिंग, नए व्यापार का प्रारंभ आदि शुभ कार्य किए जाते हैं।  इस दिन किए गए दान व पूजा-अर्चना का विशेष फल प्राप्त होता है। 
 
पूजा की विधि 
 
अक्षय तृतीया पर भगवान श्री विष्णु एवं माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ और श्री सूक्त का पाठ भक्त के जीवन में यश, पद और प्रतिष्ठा की प्राप्ति कराता है। पूजा के ल‍िए विष्णु भगवान को पीला पुष्प अर्पित करें और पीला वस्त्र धारण कराके घी के 9 दीपक जलाएं और पूजा प्रारम्भ करें। बीमारियों से ग्रस‍ित लोगों को अक्षय तृतीया के दिन आरी राम रक्षा स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। 
 
भाग्योदय के लिए मंत्र-जाप 
 
अक्षय तृतीया के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत होकर सूर्य देवता को तांबे के बर्तन में शुद्ध जल लेकर चढ़ाएं तथा इस मंत्र का जप करें-
 
ॐ भास्कराय विग्रहे महातेजाय धीमहि, तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्
 
अक्षय तृतीया से प्रत्येक दिन इस प्रक्रिया को दोहराने पर 100% आपका भाग्य चमक उठेगा। कहते है अगर यह उपाय सूर्योदय के एक घंटे के भीतर 7 बार किया जाए तो शीघ्र फल देता है।