पापा मैं हूं- ग्रहलक्ष्मी की कहानियाँ
grehlakshmi ki kahaniyan

ग्रहलक्ष्मी की कहानियाँ– ‘कोई बात नहीं बेटा’ कहकर उन्होंने मुझे सांत्वना देते हुए अपनी साड़ी पहनने को दी। स्नान के बाद जब मैंने सासू मां की साड़ी पहनी और बाथरूम से बाहर निकली तो ससुर जी मिल गए। साड़ी की वजह से वे मुझे पहचान नहीं सके और हाथ पकड़ते हुए बोले, ‘आज तो तुम बहुरानी से भी सुंदर लग रही हो। चलो सीधे कमरे में आ जाओ।’ जब मैंने हाथ छुड़ाया और कहा,
‘पापा मैं हूं’, तो वे झेंप गए और माफी मांगने लगे। वक्त मैं शर्म से लाल हो गई।

daughter and father

1- पॉपकॉर्न और फिल्म

तकरीबन सात साल पहले की बात है, मैं और मेरे पति देव फिल्म देखने के लिए गए थे। काउंटर से टिकट खरीदने के बाद हम सिनेमा हाल में जाने की तैयारी करने लगे। पर उसी समय याद आया कि सिनेमा हाल के अंदर जाते-जाते स्नैक्स खरीद लें। हमने पॉपकॉर्न खरीदे और हाल के अंदर चले गए। इसी दौरान मूवी को शुरू हुए एक घंटा हो चुका था। पति देव अपने पॉपकॉर्न खाने में व्यस्त हो गए और मैंने भी अपनी सीट के बाजू हेंडरेस्ट पर पॉपकॉर्न रख कर मजे से खाने लगी। पर मुझे पॉपकॉर्न खाते-खाते पता ही नहीं चला पॉपकॉर्न का पैकेट सीधी लुड़क कर बाजू में बैठे अजनबी व्यक्ति की गोद में गिर पड़ा है, परंतु मैं अपनी धुन में हाथ टटोल-टटोल कर पॉपकॉर्न खाती रही।

इतना सब कुछ होने के बावजूद अजनबी व्यक्ति ने भी कुछ नहीं कहा। जब मध्यांतर का समय हुआ मैं देखकर चौंक गई कि यह पॉपकॉर्न का पैकेट बाजू में बैठे व्यक्ति की गोद में रखा है। न जाने किस तरह से मैंने अपने अंजान व्यवहार से पॉपकॉर्न खाया होगा, यह सोचकर मैं शर्म से लाल हुई और उस व्यक्ति से माफी मांगी। जब भी फिल्म देखने जाती हूं उस बात को कभी भूल नहीं पाती।

popcorn and film

2- आपका फर्टीलाइजेशन हो जाएगा

बात बहुत पुरानी है, दीदी की शादी थी। उस समय मैं हाईस्कूल साइंस बायलॉजी से कर रही थी। जीजाजी जूलॉजी के प्रोफेसर थे। वो बहुत हंसमुख और हाजिर-जवाब इंसान थे। शादी के बाद जब वो पहली बार दीदी को लेने आए तो मैंने उनसे कहा कि जीजाजी आपकी शादी के कारण मुझे स्कूल से कुछ दिनों की छुट्टियां लेनी पड़ी थीं, इसलिए मेरा रिप्रोडक्टिव सिस्टम का पूरा चेप्टर छूट गया है। आप उसमें से मुझे बस केवल फॢटलाइजेशन समझा दीजिएगा, शेष तो मैं स्वयं ही पूरा कर लूंगी। जीजाजी बात टालते हुए बोले कि रात को समझा दूंगा। रात को वो सो गए। अगले दिन शाम को उन्हें वापिस जाना था। दोपहर तक जब उन्होंने मुझे नहीं समझाया तो मैंने गुस्सा होते हुए कहा कि जीजाजी शाम को तो आप वापिस चले जाएंगे और दोपहर को मेरा बायलॉजी का पीरियड है, मैं स्कूल चली जाऊंगी, आप मेरा फर्टीलाइजेशन कब कराएंगे। ऐसा सुनकर वो मुस्कुराते हुए शरारत भरे अंदाज में बोले कि साली साहिबा आप क्योंकि परेशान होती हैं, आपके पीरियड से पहले मैं आपका फर्टीलाइजेशन करवा दूंगा। उनकी अर्थपूर्ण मुस्कान और अपनी कही बात का अनर्थ होते देख मैं शर्म से लाल हो गई और वहां से भाग खड़ी हुई।

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