Hindi Kahani: सुनंदा को आवाज लगाते हुए रामानंद ने कहा, लगता है कि हम दोनों बिना पोता पोती के मुंह देखे हुए ही स्वर्ग सिधार जाएंगे। नहीं ऐसा नहीं हो सकता है| ढेर सारी मन्नतें हमने ईश्वर से मांगी है। वह हमारी एक दिन जरूर सुनेंगे लेकिन कब? कुदरत का खेल देखो दो बेटों में से किसी को संतान नहीं है एक की शादी के 15 साल हो गए और दूसरे के 9 साल।
बड़ी बहुरिया से तो अब उम्मीद भी नहीं है। निराश ना हो कुंदन के पापा , निराश कैसे ना होऊं सुनंदा। जब कोई भी मेरी बहुरिया को ताना मारते हैं ।तो बहुरिया के दिल पर क्या बितती होगी यह सोचकर मेरा कलेजा छलनी हो जाता है।
हां परसों कौशल्या चाची आई हुई थी, थोड़ी देर बैठी चाय नाश्ता की। ऊपर ताखे से कबूतर का एक अंडा नीचे गिर गया और फूट गया। तपाक से चाची बोलती हैं इस घर में मनुष्य का अंडा टिकता नहीं है कबूतर का क्या टिकेगा?????
मैं धीमी आवाज में बोली ऐसे मत बोलो चाची। उन्होंने कहा गलत क्या बोल रही हूं, तुम्हें बुरा जो लगे दो बहुरिया में किसी को संतान नहीं है इस घर में तो अंधेरा ही छाया रहेगा। मैं रोने लगी वह बोलते बोलते चली गई। मेरी बड़ी बहुरिया रोहिणी ने कहा कि आप परेशान मत हो दूसरे की बातों से । दूसरों का काम ही है किसी को तकलीफ पहुंचा कर खुश होना।
हम दोनों देवरानी जेठानी बच्चा गोद ले लेंगे अगले साल । घर हरा भरा हो जाएगा दुनिया चांद पर गई हम क्यों पुरानी सोच में ही उलझे रह जाए। किसी बच्चे को जीने का सहारा मिल जाएगा। यह भी सही है बस यह लास्ट डॉक्टर से दिखा रहे हैं हम दोनों अगर खुद की संतान आनी होगी इस घर में तो आएगी वरना गोद ले लेंगे……..।
हां यह भी सही है। यह भी सही नहीं है मम्मी जी रोहिणी और मोहिनी दोनों ने एक स्वर में कहा यही सही है। दो-चार महीने समय बीत गए नई टेक्नोलॉजी से डॉक्टर ने दोनों को गर्भ धारण करवाया। घर में खुशी का माहौल बच्चों के आने की खुशी से हो गया। सभी इंतजार करने लगे, 9 महीने दोनों बहुरिया के खुशीपूर्वक व्यतीत हुआ । आज जन्माष्टमी के दिन हमारे घर एक नहीं दो दो पोते यानी दो कृष्ण कन्हैया का जन्म हुआ। तभी मैंने अपने पति रामानंद जी से कहा ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं देखो नंद के घर आनंद भयो बोलो जय कन्हैया लाल की…….।
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