पंद्रह अगस्त वाले दिन स्कूल में बहुत बड़ा समारोह था। प्रिंसिपल हंसा मैडम ने खूब जोश से भरा, बड़ा अच्छा भाषण दिया। हिंदी वाले सर प्रभात जी ने भी बड़े सुंदर ढंग से बताया कि देश के प्रति हमारा भी कुछ कर्तव्य है। हमें आगे बढ़कर बड़े-बड़े काम करने चाहिए। बच्चों को बड़ा अच्छा लग […]
Category: नैतिक कहानियां
कहानी एक ऐसी विधा है जो मनोरंजन के साथ—साथ शिक्षाप्रद भी होती हैं। इंटरनेट के माध्यम से बच्चे को शिक्षित करने के लिए इस तरह की कहानियां पढ़ने के लिए प्रेरित करें। दादी—नानी की कहानियों में नैतिक शिक्षा भी छुपी रहती थी। नैतिक कहानियों से मिली शिक्षा बच्चों को भविष्य में आगे बढ़ने में बेहद काम आते हैं। आपके बच्चों के लिए हम लेकर आए हैं ऐसी ही कुछ नैतिक कहानियां, जो उन्हें प्रेरित करने के साथ उन्हें नैतिक मूल्य भी सिखाएंगे।
दलितों के लिए बाबा साहब के संदेश
1. तुम्हीं भारत के मूलवासी हो। तुम्हें इसके पहले अनार्य, असुर, राक्षस, शूद्र, अछूत और आज हरिजन, आदिवासी व दलित कहा जाता है।2. समस्त भारतभूमि तुम्हारे पूर्वजों की धरोहर है, तुम्हीं इसके सही और सच्चे उत्तराधिकारी हो।3. तुम्हारी विरासत पर तीन बार हमला हुआ। आर्यों, मुसलमानों और अंग्रेजों का।4. आर्यों-अनार्यों के युद्ध तुम्हारी हार का […]
चाचा नेहरू से दोस्ती – नैतिक कहानी
चुनमुन के बहुत सारे दोस्त थे। और एक दिन तो उसकी चाचा नेहरू से भी दोस्ती हो गई। इसकी बड़ी मजेदार कहानी है। असल में चुनमुन के हाथ में चाचा नेहरू की एक किताब थी, जो उसे पापा ने लाकर भेंट की थी। उसी किताब को पढ़ते हुए उसने चाचा नेहरू से बड़ी मीठी सी […]
शांति का स्तूप – नैतिक कहानी
वीरपुर का राजा रज्जबसिंह ऐसा महाबली था कि उसका नाम सुनते ही उसके शत्रु काँपने लगते। आस-पड़ोस के राजा हमेशा डरे-डरे से रहते। रात में डरते-डरते सोते। सुबह डरते-डरते जागतेे कि पता नहीं कब, क्या हो जाए! जाने कब रज्जबसिंह अपनी विशाल सेना के साथ आ जाए और उनका सब कुछ छीनकर उन्हें कारागार में […]
मिट्टी के खिलौने – नैतिक कहानी
एक था खिलौना वाला बल्लू शाह। वह चुनमुन के घर के पास खिलौने बेचने आता था। बड़ा ही मनमौजी था बल्लू शाह। हरदम अपनी घनी-घनी मूँछों में हँसता रहता। और कलाकार तो ऐसा कि क्या कहने! उसके खिलौने मानो बोलते हुए जान पड़ते। शाम के समय मोहल्ले के सारे बच्चे उसके खिलौनों को देखने दौड़ […]
सँभलकर चलना – नैतिक कहानी
चुनमुन ने साइकिल चलाना सीखा, तो अब उसे साइकिल के बगैर चैन ही नहीं पड़ता था। जहाँ भी जाता, साइकिल पर चढ़कर जाता। कुछ दिनों में ही वह खूब तेज-तेज साइकिल चलाने लगा। एक-दो बार तो वह इसी तेजी की वजह से साइकिल से गिरते-गिरते बचा। पापा ने समझाया, ”चुनमुन, ऐसे तो चोट लग जाएगी। […]
इमली के कंताड़े – नैतिक कहानी
एक दिन चुनमुन शाम के समय पार्क में खेलने जा रहा था। अभी वह पत्थरों वाली गली में पहुँचा ही था कि उसे आवाज सुनाई दी, ”चुनमुन, चुनमुन, अरे ओ चुनमुन!” चुनमुन बड़ा हैरान था। भला कौन उसे इतने प्यार से बुला रहा है! और क्या सचमुच उसी को आवाज दी जा रही है? कुछ […]
किस्सा ऊधमी भालू का – नैतिक कहानी
किसी जंगल में एक से बढ़कर एक अजूबे थे। इन्हीं अजूबों में एक था गुड़ियाघर। जंगल के बीचोंबीच पंपा सरोवर के सामने था गुड़ियाघर। उसमें देश-देश की सुंदर गुड़ियाँ थीं, रंग-बिरंगे खिलौने भी। जंगल के जानवर जब पंपा सरोवर में पानी पीने आते, तो अंदर जाकर गुड़ियाघर को देखना भी न भूलते। भला इस घने […]
जादू वाली रबर – नैतिक कहानी
चुनमुन के पास थी एक सुंदर सी रबर। मुलायम-मुलायम। देखने में लगती थी हँसते हुए शेर जैसी। पर थी वह रबर। खूब मिटाती थी साफ-साफ। चुनमुन अपने दोस्तों से कहता, ”देखो-देखो, मेरी रबर तो जादू वाली है। कितना साफ-साफ मिटाती है! और देखने में भी कितनी प्यारी है! मेरे मामा जी लाए थे दिल्ली से।” […]
सबसे कीमती चीज – नैतिक कहानी
सुमेरपुर की राजकुमारी थी सुगंधा। राजा अनंगदेव की अकेली बेटी। वह बड़ी सुंदर और गर्वीली थी। उसे लगता था, दुनिया में उस जैसा सुंदर कोई और नहीं है। इसलिए सबको अपने से नीचा समझती थी। और जब चाहे किसी का भी अपमान कर देती थी। राज्य का युवा व्यापारी सोमाली उसे बहुत चाहता था। एक […]